पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३०७

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ग्रामटिका ( ३०० १ रंडी | वेश्या । २ नील का पौधा |--तक्षः, ( पु० ) बढ़ई जो गाँव में काम करे। - धर्मः, ( पु० ) स्त्रीमैथुन । -- प्रेष्यः, ( पु० ) किसी ग्राम के समाज का संदेश ले जाने और ले श्राने वाला । - अङ्गुरिका, ( स्वी० ) ग्राम कागड़ा या उत्पात । उपद्रव । - मुखः ( पु० ) हाट | बाज़ार । - मृगः, (पु० ) कुत्ता /-याजकः, ( पु०) -याजिन, (पु० ) १ ग्राम का उपाध्याय । २ पुजारी। अर्थक 1-पंडः, (पु० ) नपुंसक पुरुष । हिजड़ा। - संघः, (पु.) ग्रामीण संस्था | - सिंहः, ( पु० ) कुत्ता। - स्थ, (वि०) १ ग्राम में रहने वाला । २ एक ही ग्राम का बसने वाला साथी । -हासकः, ( पु० ) बहनोई | ग्रामटिका ( स० ) अभागा गाँव । दरिद्र गाँव । ग्रीवालिका देखा ग्रीवा ग्रामिक (वि० ) [ स्त्रो० -- ग्रामिकी ] १ ग्रामीण । ग्रीविन ( पु० ) ऊंट गँवारू | २ गँवार | ग्रीष्म (वि० ) गर्म | ग्रामिकः ( ० ) ग्राम का चौधरी चा मुखिया | ग्रामीण: (५०) १ गाँव में रहने वाला २ कुत्ता । ३ ग्राम्यं ( न० ) १ गवारू बोलचाल १२ ग्राम में तैयार किया गया भोजन | ३ स्त्रीमैथुन । ग्रावन् ( पु० ) १ पत्थर । चट्टान २ पहाड़। ३ यादल । ) ग्लह या केतु ग्रस्त चन्द्र या सूर्य का एक भाग 1- च्छादनम् (न० ) भोजन कपड़ा |-- शल्यं, ( न० ) गले में अटकी कोई भी वस्तु । ग्राह ( वि० ) पकड़ा हुआ। काक । ४ शूकर | प्रमेय (वि० ) गाँव में उत्पन्न | गँवार । ग्रामेयी (स्त्री० ) रंडी । वेश्या । ग्राम्य (वि० ) गाँव सम्बन्धी १ गाँव का । २ ग्राम- वासी । ३ पालतू | हिला हुआ। नीच । अशिष्ट । कमीना । ५ अश्लील । -अश्वः, सुता आम, ( पु० ) गया । –कर्मन, ( न० ) ग्रामवासी का पेशा या रोज़गार ।–कुङ्कुमं, (न० ) केसर । - धर्मः, ( पु० ) १ ग्रामवासी का कर्तव्य । २ मैथुन । स्त्रीप्रसङ्ग । – पशुः, (पु०) पालू जानवर। -बुद्धि, (वि० ) अज्ञानी । हँसोड़ | मसखरा । -वल्लभा. (स्त्री० ) रंडी। वेश्या । – सुखं | ग्लपनम् ( न० ) १ सुर्माना । सूखना | कुम्हलाना । (२०) मैथुन २ पर्यवसान | ग्राम्यः ( पु० ) पालतूकुत्ता। 1 शासः (पु०) १ कवर | कौर । गस्सा | मुंह भर माप २ भोजन | पालन पोषण का उपस्कर | ३ राहु | ग्राह: (पु० ) १ पकड़ । २ नक | ग्राह| मगर ३ बंदी | कैदी । ४ स्वीकृति । १ समझ | ज्ञान ६ अटलता दृढ़ता प्रत्यानुरोध | ७ हृढ़ प्रति- ज्ञता सङ्कल्प निश्चय | ८ रोग। बीमारी। ग्राहक ( वि० ) खरीदार | पाने वाला । ग्राहकः ( पु० ) १ वाज। राजपक्षी | २ विषवैद्य | ३ खरीददार ४ पुलिस अफसर । श्रीवा (स्त्री) गरदन | घंटा, ( स्त्री० ) घोड़े के गले की घंटी या धुंधरू । ग्रीष्मः (पु०) १ गर्मी की ऋतु । ज्येष्ठ और आषाढ़ के मास । २ गर्मी । ३ उप्णता । --उद्भवा, (स्त्री०) -जा, (स्त्री० ) नवमलिका लता । चैव (वि० ) [ स्त्री०- -नैवी ] ग्रैवेय ( वि० ) [ स्त्री० ग्रैवेयी] गरदन सम्बन्धी अवयं } ( न० ) १ गले का पट्टा या कंठा । २ हाथी के गले की जंजीर | वेयकम् (न० ) १ हार | कंठा | २ हाथी के गले की जंज़ीर । ग्रैष्मक (वि० ) [ स्त्री० – प्रैष्मिका ] १ गर्मी में २ गर्मी की ऋतु में अदा बोया हुआ । करने योग्य । ग्लस् (धा० आत्म०) [ग्लसते, ग्लस्त] खा जाना । भक्षण कर जाना। म्लहः ( घा० उभय० ) [ ग्लहति-लहते, ग्लायति, लाहयते] १ जुआ खेलना । जुआ प्राप्त करना । में जीतना । २ पाना । ग्लहः ( पु० ) १ जुआरी। २ दाँव । ३ पाँसा । ४ जुआ। द्यूत