शुरू गुरू (धा० श्रा०) [गुरते, गूर्त, गूर्ण] प्रयत्न करना । चेष्टा करना | [ सूर्ण ] । १ चोटिल करना । मार डालना । २ जाना । ( २६१ ) गुरणम् (न०) प्रयत्न | सतत चेष्टा । गुरु (वि०) ) [ तुलनात्मक -गरीयस, गरिष्ठ ] : गुरुवी (वि०) । भारी बोझिल | २ महान | ३ दीर्घ | ४ महत्वपूर्ण । ५ लिष्ट (अस) । ६ प्रचण्ड | ७ सम्मानित | म गरिष्ठ जो शीघ्र न पचे । १ उत्तम । सर्वोत्कृष्ट १० प्यारा प्रेमपात्र ११ अहकारी। घमण्डी ।-अर्थः, (पु०) अध्यापन का शुल्क | पढ़ाई की फीस । - उत्तमः, (पु०) परमात्मा ।-कारः, (पु०) पूजन सम्मान - क्रमः, (५०) परम्परागत प्राप्त शिक्षा। -जनः (पु०) बढ़ा बूढ़ा कोई भी व्यक्ति । - तल्पः (पु०) गुरु की शय्या । —तल्पगः, - तस्पिन, (पु०) १ गुरुपत्नी के साथ व्यभिचार करनेवाला । पाँच गुल्मी स्त्री०) खीमा । तंबू | वाक: } (पु०) सुपाड़ी का पेड़ । गूवाकः महापातकियों में से एक । २ सौतेली माता के गुहू (धा० उभय०) [ गृहति, गूहते, गूढ़ ] संवरण साथ मैथुन करने वाला ।-~-दक्षिणा, (स्त्री०) वह शुल्क जो गुरु को दिया जाय।-- दैवतः, (पु० ) पुष्पनपत्र / - पाक, (वि० ) गरिष्ठ ( पदार्थ ) जो कठिनता से पचे नं, (न०) १ पुष्प गुहः (पु०) १ कार्तिकेय । २ घोड़ा | ३ शृङ्गवेरपुर के करना छिपाना ढकना । निषादों का राजा और श्रीरामचन्द्र जी का मित्र | ४ विष्णु । नक्षत्र । २ कमान । धनुष | -मतः, (पु०) गुहा (स्त्री०) १ गुफा | २ छिपाव | दुराव । ३ गढ़ा। ढोलक या मृदङ्ग । -रत्नं, (न०) पुखराज | -वर्तिन, – वासिन्, (पु०) ब्रह्मचारी। विद्यार्थी, जो गुरु के पास या घर में रहै । – वृत्तिः, (स्त्री०) ब्रह्मचारी का अपने गुरु के प्रति व्यवहार । बिल ४ हृदय ।-आहित, (वि०) हृदयस्थित। - वरं, (न०) ब्राह्मण । —मुख, (वि०) खुला हुआ मुख वाला। - शयः, (पु०) १ चूहा । २ शेर। चीता। ३ परमात्मा | ४ अज्ञान । गुहिनं (न०) वन | जंगल गुहेरः (पु०) १ अभिभावक | सरंक्षक |२ लुहार। गुहा ( स० का० कृ० ) १ छिपाने के योग्य गुप्त । २ एकान्त ३ रहस्य |–दीपकः, (पु० ) जुगुन् । - निष्यन्दः, ( पु० ) पेशाब | मूत्र । -भाषितं, ( न० ) १ रहस्यमयी वार्ता या वार्तालाप | २ रहस्य । - मयः, (पु० ) कार्तिकेय । गुहा (न०) रहस्य | गुप्तत्व | पुरुः (पु०) १ पिता | २ बुढ़ा| ३ शिक्षक | अभ्या- पक | ४ मन्न्रदाता | दीचा देने वाला ५ प्रभु । अध्यक्ष शासक ६ देवाचार्य । बृहस्पति । ७ बृहस्पति ग्रह ८ किसी नये सिद्धान्त का प्रचा- रक |३ पुष्प नक्षत्र १० द्रोणाचार्य ११ मीमांसकों में सिद्धान्त विशेष के प्रवर्तक प्रभाकर गुरुक (वि०) [स्त्री:-गुरुकी] १ कुछ थोड़ा हल्का | २ छन्दोशास्त्र में गुरु वर्ण । ( पु०) गुजरात प्रान्त | गुर्विणी । गुर्वी ( स्त्री० ) गर्भवती स्त्री । गुह्यकः गुलः (पु० ) शीरा । रात । चोटा | गुलच्छ } ( पु० ) दस्ता 1 गुच्छा । । गुल्फः (पु०) गहा। गिटुश्रा | पावों की गांठे। गुल्मं (न० ) ) १ झाड़ी | वृक्षों का झुरमुट । वन । गुल्मः (पु०) ) जङ्गल । २ प्रधान पुरुषों से युक्त रक्षकदल, जिसमें 8 हाथी, ६ रय, २७ घुड़सवार और ४५ पैदल होते हैं । ३ दुर्ग | किला | ९ लोहा । १ नीहावृद्धि | ६ देहाती पुलिस की चौकी । ७ घाट गुल्ममूलम् (न०) अदरक | आदी । गुल्मलता (स्त्री० ) सोमवल्ली । गुल्मिन् (वि०) [ स्त्री०-गुल्मिनी] १ झाड़ बाँध कर उगने वाला । २ प्लीहावृद्धि का रोगी । गुह्यः (५०) १ पाखण्ड दम्भ | २ कछुवा । ..” गुह्यकः ( पु०) देवयोनि विशेष । यह भी कुबेर के किन्नरों की तरह प्रजा हैं और धनागार की रक्षा का काम इनके सुपुर्द है।
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