पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२५३

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कुछ कम् 1 कुहकम् (२० ) | जालसाज़ी| इन्द्रजाल कार, कुहका (स्त्री० ) | (दि०) ऐन्टजालिक जालसाज़ छलिया। चकित ( वि० ) संशयात्मा | शकी। सतर्क धोखे से डरा हुआ स्वनः, -स्वरः (g०) मुर्गा कुहनः ( पु० ) 1 मूसा । २ सौंप । कुहनम् (न०) १छोटा मिट्टी का पात्र २ शीशे का पात्र कुनिका (स्त्री०) दंभ | ( २४६ ) कुहरं (न०) १ र छित्र | गुफा | बिल | २ कान ३ गला | ४ सामीप्य | ५ मैथुन । समागम कुहरिवं ( ० ) प्रवास | २ कोकिल की कूक ३ मैथुन के समय को सिसकारी । ( स्त्री० अमावस्या श्रमावस २ इस- कुद्ध: । तिथि का दैवत | ३ कोकिल की कूक । — कुण्ठः दुः -मुखः, - रवः, शब्दः ( पु० ) कोयल | कू (धा० आम० ) [ कवते, कुवते ] शब्द करना । शोर करना २ दुःख में चिल्लाना | कहरना । कृः ( स्त्री० ) चुड़ैल | दुष्टा स्टी। [वाहिता स्त्री की। कृचः (पु० ) चूची | विशेष कर युवती अथवा अवि कृचिका ) ( स्त्री० ) : कृषी | बुश पेंसिल | कूची "} २ ताली | कूज् ( धा० परस्मै० ) [ कृजति --कूजित, ] भिन- भिनाना। गुआर करना। कूमना । } कूज: ( पु० ) कूजनं (न० ) कूजितं (न०) कूट ( वि० ) १ मिथ्या | २ अचल | हड़ चहचहाहट | २ पहियों की खड़खड़ाहट या घूँचाँ कूटः (पु०) ) १ कपट । कुल माया | धोखा । २ कूदम् (न०) ) चालाकी । जालसाज़ी । ३ विषम प्रभ । परेशान करने वाला सवाल लिट ● झूठा पाँसा-आगारं, ( न० ) अटारी | अटा1-व्यर्थः; (पु०) सन्दिग्ध अर्थ - उपायः, ( पु० ) जालसाजी | ठगविद्या (--कारा, (पु० ) जालसाज़ उग। भू गवाह (--, (वि०) १ जाली वस्तावेज बनाने वाला । ३ घूंस देने वाला ( पु० ) १ कायस्थ । २ शिव जी का नाम खड्डः ( पु० ) गुसी ( सलवार ) छान् । पु० ) कपटी खुलिया । ठग - तुला ( श्री०) झूठी तराजु । धर्म, (वि० ) मिथ्या भाषण जहाँ कर्त्तव्य समझा जाय - पाकलः, ( पु०) हाथी का वातज्वर - पालका, ( पु० ) कुम्हार | कुम्हार का अँचा -पाशः, -बन्धः, (पु० ) फंदा । जाल ।-मानं, (न०) झूठी तौल 1-~मोहनः (पु०) स्कन्द की उपाधि 1 -यंत्रम् ( न० ) फंदा जाल, जिसमें पक्षी था हिरन फँसाये जाते हैं। युद्ध (म० ) धोखे घड़ी का युद्ध - शाल्मलिः, ( पु० स्त्री० ) १ शाल्मली। वृत्त विशेष । २ नरक में दण्ड देने का यंत्र विशेष -शासनं, ( म० ) बनावटी डिग्री। झूटी डिग्री /~साक्षिन्, (न० ) झूठा गवाह ~स्थ (वि० ) शिखर या चोटी पर अवस्थित या खड़ा हुआ। सर्वोच्च पद पर अधि ठित । सर्वोपरि ~~स्थः, ( पु० ) १ परमात्मा । २ आकाशादितत्व । ३ व्याघनख नाम का सुगन्ध- द्रव्य विशेष :-स्वर्ण ( न० ) बनावटी या झूठा सोना मुलम्मर । कूटकं (न० ) १ छल | धोखा | जाल | २ श्रेष्ठत्व उन्नयन। ३ हल की नोंक। कुशी-आख्यानं, ( न० ) बनावटी कहानी . कूटश: (अन्यथा० ) ढेर में। समूह में । कूण (धा० उभय०) [[कृष्णयति-कूणयते, कूणित ] १ बोलना। बातचीत करना। २ सफोड़ना बंद करना। रचना ४ झूठ | मिथ्या । २ पर्वत की चोटी या शिखर ६ निकास | ऊँचाई | उमाद। ७ माथे की हड्डी शिखा ८ सींग | 8 केोना | छोर 90 प्रधान मुख्य । ११ ढेर । समूह | १२ ह्यौड़ा | धन | १३ हल की फाल कुशी १४ हिरन फसाने का जाल । १५ गुप्ली । १६ कलसा घड़ा । ( पु० ) १ घर 1 आवास स्थल | २ अगस्त्य जी का नाम (अतः, (पु०) . - कणिका (स्त्री० ) १ सींग २ चीणा की खूँटी। कूणित ( वि०) बंद | मुँदा हुआ। कूदालः (पु० ) पहावी धावनूस। कूपः ( पु० ) १ धूप । इनारा | ३ छेद | रन्ध | गुफा | बिल पोलापन सन्त्रि ३ कुप्पी | कुप्पा | ४ 1