पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२५२

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कुशारण कुशारणिः, (पु०) दुर्वासा ऋषि । कुशिक ( दि० ) पेंचाताना। भैया। कुशिकः ( 50 ) 1 विश्वामित्र के पिता का नाम । २ दल की फाल नसी | कुसी फाल ३ तेस की। कुशी ( स्त्री० ) हल की फाल । कुशीलवः (पु० ) १ भाट । चारण | गवैया | २ कसीदा (स्त्री०) ब्याजखोर स्त्री । कुसोदायी (स्त्री० ) व्याजखोर की पत्नी | असीविकः } ( पु०) ब्याजन्नोर । सुद खाने वाला । | अभिनय या नाटक का पात्र बनने वाला । नट नचैया ३ खबर फैलाने वाला ४ वाल्मीकि की उपाधि | [ कमण्डलु । कुशुंभ, कुशुम्भः ( पु० ) संन्यासी का जलपात्र । कुशूल : (पु०) १ अन्न भरने का कोठार। भण्डारी । २ धान की भूसी की आग। कुशेशयं (न०) कमल । कुशेशयः (पु०) सारस। २ कनैर का पेड़ | कुप् (घा० परस्मै०) [कुष्णाति, कुपित] १ फाड़ना । खींच कर निकालना | खींचना | २ परीक्षा करना । जाँचना पड़तालना। ३ चमकना । कुपाकु (पु० ) पुत्र १२ अझि | ३ लंगूर बन्दर कुसुमं ( न० ) १ फूल | २ रजोदर्शन : ३ फल /-- अञ्जनम्. (न०) पीतल की भस्म जो अअन की जगह इस्तेमाल की जाती है। लिः, (१०) पुष्पा अति ।-अधिपः- प्रधिराजू, (१०) चम्पा का पेड़ अचचायः. (पु०) फूल एकत्र करना - अवतंस कं, (न०) सेहरा। सरपेच हार-प्रस्त्रः, -आयुधः, -पुः, चाणः, -शरः, (पु० ) ३ कुसुम बाण पुष्पशर । फूल का तीर ३ काम- देव का नाम 1- (पु० ) १ बाग, बगीचा पुष्पोद्यान २ गुलदस्ता ३ वसन्त ऋतु-आत्मकं, (न० ) केसर | जाफ्रान /- आसवं, (न०) १ शहद मधु | २ मदिरा विशेष -उज्वल, (वि०) पुष्पों से प्रकाशित। -कार्मुकः, चापः, -धन्धन, (पु०) कामदेव । चित, (वि०) पुष्पों के ढेर का 1 पुरं, (न० ) पटना । पाटलिपुत्र अता. (स्त्री० ) फूली हुई बेल- शयनम् ( न० ) फूलों की सेज स्तवकः, ( पु०) गुलदस्ता | ० कुष्ठः ( पु० ) है कोद रोग :- अरिः ( ० ) १ कुष्ठम् ( न० ) [ गन्धक २ करथा ३ पर्वन ४ कितने ही पौंधों के नाम केतुः, (पु० ) खेखसा का साग । -गन्धिनी (स्त्री० ) असगन्ध । कुण्ठिन } (वि०) [स्त्री० कुण्ठिनों] कोड़ी | कुण्ठी ( २४५ ) कुष्माण्ड: ( पु० ) 1कुम्हड़ा २ झूठा गर्भ | ३ शिव का एक गया। कुष्माण्डकः ( पु०) कुम्हड़ा। कुस् (धा० परस्मै० ) [कुस्यति, कुसित] १ आलिङ्गन करना | २ घेरना | कुसितः ( पु० ) १ आबाद देश । २ व्याज या सूद | पर निर्वाह करने वाला। कुसिदः ) ( पु० ) इसको कुशीद या कृषीद भी कुसीदः । लिखते हैं। महाजन | सूदखोर । कुसीदम् (न०) १कर्जा जो सूद सहित अदा किया जाय। २ रुपये उधार देना। व्याजखोरी धन्धा - पथः, (पु०) सूदखोरी व्याज सूद ५ सैकड़े से अधिक भाव का सूद।-वृद्धिः (सी) रुपर्यो पर म्याज | कुसुमवती ( स्त्री० ) रजस्वला स्त्री | कुसुमित ( वि० ) फूला हुआ। पुष्पित कुसुमाल: (पु० ) चोर कुसंभ, कुसुम्भ (७०) कु सुभ, कुसुम्भम् (न०) ( पु० ) दिखावटी स्नेह । (४०) सुवर्ण | सोना । कुसूलः (पु० ) खत्ती । सेरें। अझ का भारडार गृह कुसूतिः (श्री० ) घुल जाल । कपट । धोखा प्रवश्वना । १ कुसुंभ | २ केसर ३ संन्यासी का जलपात्र | कुस्तुभः ( पु० ) १ विष्णु कुहः ( पु० ) धनाधिप कुवेर | २ समुद्र । व्याज का | कुहकः ( पु० ) खुली । प्रवद्धक जालसाङ्ग । मदारी । ऐन्द्रजालिक ।