पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२२८

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काकिनी ( कौड़ियों के बराबर होता है | ३ चौथाई भाशा । ४ माप का एक अंश विशेष । ५ तराजू की इंडी| ६ अठारह इंच या आधगज़ | काकिनी (स्त्री०) १ चौथाई पण । २ माप विशेष का चतुर्थाश | ३ कड़ी। २२१ ) काली कांचनकिन ( पु० ) हस्तलिपि लिपि लिखत । काचूकः (पु०) १ मुर्गा | २ चक्रवाक | चकई चकवा | काजलम् ( न० ) १ स्वल्प जल | २ दूषित जल । कांचन | (वि० ) [ स्त्री० - काञ्चनी | सुनहला काञ्चन / या सोने का बना हुआ । अङ्गी (स्त्री०) सुनहले रंग की स्त्री अर्थात् पीले रंग की स्त्री - कन्दरः, ( पु० ) सोने की खान । - गिरि, ( पु० ) सुमेरु पर्वत । - भूः, ( स्त्री० ) १ पीली मिट्टी वाली ज़मीन । २ सुवर्णरज -सन्धिः, (स्त्री० ) दो पक्षों के बीच हुई ऐसी सन्धि या सुलह जिसमें उभय पक्ष के लिये समान शर्तें है। कांचनम् ) ( न० ) १ सोना | सुवर्ण | २ चमक | काञ्चनम् । दमक । ३ सम्पत्ति । धनदौलत । ४ "आवेश में स्वर कः ( स्त्री० ) १ वक्रोक्ति । भय, क्रोध, शोक के की विकृति या परिवर्तन । २ अस्वीकारोक्ति को इस ढब से कहना कि, सुनने वाले को वह स्वीकारोक्ति जान पड़े। २ गुनगुना हट | ४ जिह्वा । काकुत्स्थः ( पु० ) ककुत्स्थ राजा के वंशधर । सूर्य- वंशी राजाओं की उपाधि विशेष | काकुदं ( न० ) तालू । तलुआ । जिह्वा का आश्रयस्थान | काकोत्तः ( पु० ) १ काला कौश्रा । पहाड़ी काक २ सर्प | ३ शूकर | ४ कुम्हार | ५ नरक भेद | काक्षः ( पु० ) १ तिरछी चितवन । कनखिया देखना । काक्षम् ( न० ) ऐसे देखना जिससे अान्तरिक अप्र- सन्नता प्रकट हो। टेंडी चितवन । कागः (पु० ) काक । कॉच ( धा० परस्मै० ) [ काँक्षति, काँक्षित ] १ इच्छा करना चाहना २ आशा करना । प्रतीक्षा करना । कांक्षा (स्त्री०) १ कामना । इच्छा | २ प्रवृत्ति । भूख जैसे "भक्तकता" । कांक्षिन (वि० ) [ स्त्री० काँक्षिणो ] इच्छा करने वाला । अभिलाषी । काँच: ( पु० ) १ काच | शीशा | स्फटिक | २ फाँसा । फंदा । लटकने वाली अलमारी का खाना । जुएँ की रस्सी । ३ नेत्र रोग विशेष | ४ मोम |५ खारी- मिट्टी | - घटी, (स्त्री०) झारी । लोटा जो काच का बना हो।--भाजनं, (न० ) शीशे का पात्र । -मणिः, (पु० ) स्फटिक । — मलं, – लवणं, -सम्भवम्. ( न० ) काला निमक या सोडा कांचनम् ( न० ) डोरी या फीता जो बंडल कांचनकम् । लपेटने या कागज़ों को नत्थी करने के काम में श्रावे ।

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कमल का रेशा । कांचनः ) ( पु० ) धतुरा का पौधा । २ चम्पा का काञ्चनः पौधा कांचनारः काञ्चनारः कांचनालः काञ्चनालः कांचिः ) ( स्त्री० ) १ करधनी जिसमें रोनें या घूँ घर काञ्चिः (लगे हों । बजनी करधनी । २ दक्षिण कांची भारत की स्वनाम प्रसिद्ध एक नगरी जिसकी काञ्ची गणना सप्त मोचपुरियों में है। आधुनिक काँजीवरम् नगर । – पदं (न०) कूल्हा और कमर। काञ्जिकम् । विशेष जो खट्टा हो । कांजिकम् ) ( न० ) खट्टी महेरी । खाद्यपदार्थं काटुकं ( न० ) खटाई | खट्टापन | काठः (पु०) चट्टान | पत्थर | ( पु० ) कोविदार या कचनार का पेड़। काठिनम् ) (न०) १ कड़ाई | कड़ापन | २ निष्ठुरता काठिन्यम् । कठोरता। निष्ठुरहृदयता । काण ( वि० ) १ काना | २ छेद किया हुआ । फूटी कौड़ी। यथा- " प्रातः काणवराटकोपि न मया तृष्येऽघुमा मुख्य मां" काणेयः ) ( पु० ) कानी स्त्री का पुत्र । काणेरः । काली (स्त्री० ) १ असती या व्यभिचारिणी स्त्री। २ अविवाहिता स्त्री | – मातृ, (पु०) अविवाहिता स्त्री का पुत्र |