पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२२३

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फल कध कलंकषः ) (पु० ) [ स्त्री०- कलंकषी, कलङ्कप: 5 सिंह | कलंकित । कलङ्कित कलंकुरः ) ( पु० ) भँवर । बगूला । उल्टी धारा। कलङ्करः ) उल्टा बहाव । कलंजः ) ( पु. ) १ पक्षी । २ विष के अस्त्र से कलअः ) मारा हुआ हिरन आदि जीवधारी। कलंजम् । ( न० ) विप में बुके अस्त्र से मारे हुए पशु कलअम्) का मांस । ( २१६ ) कलापकम् कलङ्कषी ] | कलहः ( पु० ) } 9 कगड़ा । खढ़ाई भिड़ाई । कलहम् (न० ) २ युद्ध जंग | ३ दाँवपेंच धोखाधड़ी झूठ । छुख । प्रचण्डता । आघात प्रहार मार। -अन्तरिता, (स्त्री० ) प्रेमी से झगड़ा हो जाने के कारण अपने प्रेमी से वियुक्त स्त्री अपहृत ( वि० ) बरजोरी हरा हुआ छीना हुआ। प्रिय, (बि० ) वह व्यक्ति जिसे लड़ाई झगड़ा अच्छा लगता हो । ( वि० ) बदनाम | दगीला | कलत्रम् ( न० ) १ पत्नी २ कमर | कूल्हा | ३ शाही गढ़ | कलनम् (न०) १ धन्वा दाग़ २ त्रुटि अपराध दोष ३ ग्रहण | ग्रास पकड़ ४ अवगति । समझ ५ र शब्द | कलना (खी०) उपकड़ ग्रास ग्रहण २ किया। ३ वशवर्तित्व | मुती । ४ समझ ५ धारण करना। पहिनना। कलविका } ( स्वी० ) बुद्धि । प्रतिभा । कलभः ( पु० ) १ हाथी का बचा २ तीस वर्ष कलभी ( खीं० ) 5 की उम्र का हाथी । ३ ॐ का या अन्य किसी जानवर का बच्चा कलमः ( पु० ) वे धान जो मई और जून में बोये जाते और दिसंबर में पकते हैं । २ लेखनी नरकुल जिसकी क़लम बनती है। ३ चोर। ४ गुंडा | बदमाश । दुष्ट । कललः ( पु० कललम् (न. कलंबः ?} ( पु० ) १ तीर | २ कदम्ब वृच्च । कलम्बः ) कलंबुटम् कलम्बुटम् ( न० ) ( ताज़ा ) मक्खन | • योनि गर्भ की किल्ली। + कलविङ्गः ) ( पु० ) १ गौरैया पक्षी | २ इन्द्रजी | १ धन्या दारा कलविङ्गः कलहः ( पु० ) नारद जी की उपाधि | कला (स्त्री० ) टुकड़ा | २ व्याज । १ किसी वस्तु का छोटा अंश । चन्त्रमण्डल का १६वाँ अंश ३ सूद ४ समयविभाग २ राशि के तीसवें भाग का ६० वाँ भाग। कोई धंधा । ऐसी कलाएं चौसठ होती है। यथा गाना बजाना आदि । ७ चातुर्थ प्रतिभा कपट छल । १ नौका | १० रजोदर्शन /अन्तरं, ( न० ) अन्य बैंश २ व्याज सूद लाभ (पु०) तलवार की धार पर नृत्य करने वाला। ~~आकुलम्, (न०) हलाहल विष 1-केलि, (वि०) हर्षित। आल्हादित । रसीक्षा /- केलिः, ( पु० ) कामदेव की उपाधि । -तयः, ( पु० ) - घर, निधिः, पूर्णाः ( पु० ) चन्द्रमा / --भृत् ( पु० ) चन्द्रमा | अयनः, चन्द्र का हास ● ( पु० ) सुमार। क्लापः (पु० ) १ गट्ठा । कलशः (पु०) कलसः कलशम (न०) कलसम् कलशी (स्त्री० ) ) धड़ा 1 कलसा /सुतः, कलसी ( पु० ) ) अ ऋषि का नाम । लादः कलादकः गठड़ी । २ समुदाय । मयूरपुच्छ | ४ स्त्री वस्तुओं का संग्रह | ३ का इज़ारबंद या करधनी २ आभूषण ६ हाथी की गरदन की रस्सी । ७ सरकस तृणीर तीर बाय | ६ चन्द्रमा चतुर मनुष्य 13 एक १० बुद्धिमान एवं छन्द में लिखी हुई पद्य रचना १२ संस्कृत का व्याकरण विशेष। १ घड़ा। कलसा | २ चौतीस सेर का माप विशेष /- - जन्मन्, उद्भवः, ( पु० ) अगस्य जी | कलापकम् (न०) १ चार श्लोकों का समूह जो किसी का नाम । एक ही विषय के वर्णन में हो और जिनका एक ही अन्वय हो । २ ऋण जिसकी अदायी उस समय हो जिस समय मोर अपनी पूंछ फैलावे । कलापी ( श्री० ) घास का गट्टा ।