पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२११

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कतिपय या घटका हुआ तदः, तटं. तटी, ( स्त्री० ) गर्दैन की अगल बगल का स्थान 1- दल, (वि० ) गरदन तक -जीडकः ( पु० ) चील ।~-नीलकः, ( पु० ) मसाल । लुका ( २०४ ) कंडनी कण्डनी । ( स्त्री० ) उसली | सरल | खल | कण्डरा } (स्त्री० ) मस after पखीसा । -~-पाशकः, (पु० ) हाथी की गर्दन का | कण्डिका रस्सा/भूषा ( श्री० ) छोटी गुंज /- मणिः, (स्त्री० ) रख्न जो गले में पहिना जाय । -लता, (खी० ) १ पट्टा कालर | २ बाग- डोर। अगा।-शोषः, (पु० ) गला सूखना। -स्थ, (वि० ) गने वाला। गले से उच्चारण किये जाने वाले वर्ण १ गले से । २ स्पद्यतः कंठाला कण्ठाला कंठिका कठिका कठत कराहू कंडूतिः कंठतः कण्ठतः | कराइतिः ) ( स्त्री० ) खाज। खुजली। कंडूयति कराइयति । ( क्रि० उ० ) खुजलाना। धीरे कंडूयते, कण्हयते धीरे मलना । ( अन्या साफ साफ । कंठालः }{ पु० ) , नाव । र बेलचा | कुदाली । कंशयननम् } ( न० ) मलना । खुजलाना। २ २ युद्ध ४ जेंद । ( श्री० ) वर्तन जिसमें दही या दूध | कंडूयनकः ) ( पु० ) गुदगुदाने वाला सुरसुरी बिलोया जाय। पैदा करने वाला। कराड्यनकः } ( स्त्री० } एफलरा हार या गुंज । ( स्त्री० ) १ गर्दन । गला | २ गुंज गोप | कालर | पट्टा | ३ घोड़े की गईन में बाँधने की रस्सी-खः, (पु० ) १ शेर सिंह | २ मदमाता हाथी । २ कबूतर ४ स्पष्ट घोषणा या उल्लेख कंडीलः कराठीलः कंठेकालः } (3० ) कँट । उष्ट्र । कण्ठेकालः } (g० ) शिव जी का नाम । कंटय ) ( वि० ) १ गले से उत्पन्न । २ जिसका कराव्य ) उचारण गले से हो।-वर्णः (पु०) कण्ठ से उच्चारित होने वाले अक्षर यथा ष, आ, कू, कंठी कराठी आ अक्षर । कण्डः / कंडू : कंडू ) ( धा० उभय० ) १ प्रसन्न होना सन्तुष्ट | कराडू ) होना । २ गर्व करना। ३ फटकना । कूट | } कर भूली अलगाना |४ बचाव करना । रजा करना। कंडनम् ) ( न० ) १ भूसी से अनाज का अलगाने करानम् की किया फटकना । पड़ोरना । २ 1 भूसी । कंडूया कराड्या कंडूल । कराहूल यजुर्वेद का भाग विशेष | (स्त्री०) १ छोटे से छोटा विभाग। २शुद्ध- खाज ( पु० स्त्री० ) १ खुजलाहट । खुजली | ( स्त्री० ) खुजली खाज ( श्री० ) खाज खुजली । ) (वि० ) सुरसुरी, जिसके होने से सुज- लाने को जी चाहे । कंडोलः ) कराडोल: ) } कंडोषः कण्डोपः ( पु० ) कोंका। फीड़ा । कीट करावः, ( पु० ) एक ऋषि का नाम जिन्होंने शकु- Fखा का पालन पोषण किया था: कतः कतकः ( पु० ) डलिया । टोकरी । भौया । सुता, ( स्त्री० ) शकुन्तला | खु, कलं - और टू-~-स्वरः, ( 50 ) भ और कतकम् } ( न० ) निर्मलीड का फल । कतम (सर्वनाम वि० ) कौन कौनसा । 1 कतर ( सर्वनाम वि० ) कौन। दो में से कौन सा । कतमालः (पु० ) अग्नि । आग। कति ( सर्वनाम दि० ) १ कितने । २ कुछ | कतिकृत्वम् (अव्यया० ) कितने बार। कितने दफा कतिधा (अव्यया०) १ कितनी बार । २ कितने स्थानं पर कितने भागों में। कतिपय (वि० ) १ कुछ | थोड़े से | कुछेक निर्मली का वृक्ष जिसके फल से जल साप किया जाता है।