पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१३०

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

आशिक अग्निक (वि०) [स्त्री० आशिकी] आग सम्बन्धी । यज्ञीय अनि सम्बन्धी ( १२३ श्रीधं ( न० ) वह स्थान जहाँ अग्निहोत्र का अभि जलाया जाता है। आग्नेयम् ( न० ) १ कृत्ति का नक्षत्र | २ सुवर्णं । ३ खून | रक्त । ४ घी। ग्यास्त्र | आग्न्याधानिकी (स्त्री० ) दक्षिणा विशेष जो ब्राह्मण --हितोपदेश । सीध: ( पु० ) १ हवन करने वाला | २ मनुवंशोद्भव | आधारः (पु० ) १ छिड़काव | २ विशेष कर हवन के समय अभि पर घी का छिड़काव । ३ घी । महाराज प्रियव्रत का पुत्र | सम्बन्धी अगिया | २ अभि को चढ़ाया हुआ। आग्नेयः (पु० ) कार्तिकेय या स्कन्द की उपाधि | आग्नेयी ( स्त्री० ) १ अग्नि की पत्नी । २ पूर्व और आग्नेय (वि० ) [ स्त्री० -आग्नेयी ] अझ | आघूर्णनं (न०) लोटना | उछाल । चक्कर । तैरना । आघोषः (पु०) बुलावट घोष (न० ) । ढिंढोरा आघोषणा (स्त्री० ) व्याघ्राणम् ( न० ) १ प्रांगारं आङ्गरम् आमंत्रण । श्राह्वानकरण । । राजाज्ञा की [ होना । 3 घोषणा | सूँघना | २ अघाना | सन्तुष्ट दक्षिण के बीच वाली दिशा । }( न० ) अंगारों का ढेर । | आङ्गिक आशिक: } आंगिरस ङ्गिरसः आंगिक ) (वि० ) [स्त्री०- आंगिकी, प्राङ्गिकी ] १ शारीरिक | दैहिक । २ हाव भाव युक्त । ( पु० ) सबलची या मृदंगची | को दी जाती है। आग्रभोजनिकः ( पु० ) ब्राह्मण जो प्रत्येक भोज में सब के आगे या प्रथम बैठने का अधिकारी है। यणम् (न० ) याहितानियों का नक्शस्येष्टि नवान्न विधान । आग्रहायणः ( पु० ) मार्गशीर्ष मास । आग्रहायणी (स्त्री०) १ मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा । अगहनी पूनो | २ मगशिरा नक्षत्र का नाम । आग्रहायणकः ) ( पु० ) मार्गशीर्ष या अगहन आग्रहायणिकः । मास । आग्रहारिक (वि०) [स्त्री०- आग्रहारिकी] नियमा- नुसार प्रथम भाग पाने वाला प्रथम भाग पाने योग्य ब्राह्मण श्रेष्ठ ब्राह्मण ) [ तिचतु आग्रयणः ( पु० ) अनिष्टोम में सोम की प्रथम (०) पकड़ ग्रहण २ आक्रमण । ३ सङ्कल्प प्रगाढ़ अनुराग कृपा । अनुग्रह । संरक्षकता। आघट्टना ( स्त्री० ) १ हिलाना । कम्पन | ताइन । २ रगड़ | संसर्ग। आधार धाव | ३ दुर्भाग्य । बदकिस्मती । विपत्ति | ४ कसाईखाना । बधस्थान | -"प्राचातं नीयमानस्य ।” आघः (पु० ) रगढ़ | मालिश । ताड़ श्राघर्षणम् (न० ) ) 1 आघाट ( पु० ) सीमा हद्द । यः (पु०) १ दाइन मारण | २ चोट | प्रहार। (पु०) बृहस्पति का नाम अंगिरस का पुत्र | (पु० ) । विद्वान् । पण्डित । याचमः ( पु० ) कुल्ला। आचमन । याचमनम् ( न० ) जल से मुख साफ करने की क्रिया। किसी धर्मानुष्ठान के आरम्भ में दहिने हाथ की हथेली में जल रख कर पीने की क्रिया । आचमनकम् ( न० ) १ पीकदानी । यः (पु० ) १ जमाव | भीड़ | २ ढेर | समूह | आचरणम् ( न० ) १ अनुष्ठान व्यवहार । बर्ताव: २ चालचलन | ३ चलन | प्रचलन पद्धति ४ स्मृति । श्रत ) ( वि० ) १ आचमन या कुल्ला किये हुए । आचान्त २ आचमन करने योग्य आचामः ( पु० ) १ आचमन । कुल्ली । २ जल या गर्म जल का उफान । प्राचार: ( पु० ) १ चालचलन चरित्र । चाल- ढाल । २ रीतिरिवाज़ | चलन | पद्धति | ३ सदा- चार | ४ शील । ५ रस्म ।–भ्रष्ट, पतित, ( वि० ) दुराचारी | अशिष्ट । –पूत, (वि० ) सदाचार के अनुष्ठान से पवित्र लाज, ( go बहुव० ) सीलें. जो. राजा या किसी