मस्मृति शास्त्र अर्थात् स्मृतियों के विरुद्ध । जो स्मार्त्त- सम्प्रदाय का न हो । [ भुलकड़पन | यस्मृतिः (स्त्री०) स्मरण शक्ति का अभाव। विस्मृति अस्मि (अव्यया० ) मैं । अस्मिता (स्त्री० ) १ अहङ्कार | २ योगशास्त्रानुसार पाँच प्रकार के क्लेशों में से एक द्रक, द्रष्टा और दर्शनशक्ति को एक मानना अथवा पुरुष (आत्मा) और बुद्धि में अभेद मानना । ३ सांख्य में इसे मोह और वेदान्त में इसे हृदयग्रन्थि कहते हैं। अनः (पु० ) १ कोना। कोण । २ सिर के बाल -कण्ठः ( पु० ) तीर ।-अं (न० ) मांस | गोश्त । –पः, ( पु० ) खून पीने वाला राराक्षस । -पा, (स्त्री० ) जोंक /- मातृका, (स्त्री० ) अन्नरस अर्द्धजीर्ण भुक्तद्रव्य | अ ( न० ) १ | २ रक्त । खून | व (वि० ) १ जीवनोपाय विहीन । 11 ( ११७ ) अकिञ्चन | निर्धन | गरीब । २ निज का नहीं । [वश्य । स्वतंत्र (वि० ) १ आश्रित । पराधीन । २ नम्र | अस् (वि० ) जागता हुआ । अनिद्रित । अस्वमः ( पु० ) देवता । [ २ व्यञ्जन | स्वरः ( पु० ) १ मन्दस्वर । धीमी आवाज़ | स्वरं (अन्यथा०) जोर से नहीं धीमी आवाज में। अस्वर्ग्य (वि०) जिससे स्वर्ग की प्राप्ति न हो। अस्वाध्यायः (पु० ) १ जिसने वेदाध्ययन आरम्भ न किया हो । जिसका यज्ञोपवीत संस्कार न हुआ हो । २ अध्ययन में रुकावट । अस्वस्थ (वि० ) बीमार। रोगी। भला चंगा नहीं। स्वामिन् (वि० ) जो किसी वस्तु का स्वामी या मालिक न हो। -विक्रयः, (पु०) बिना मालिक की विक्री । प्रस्वैरिन् (वि० ) परतंत्र । पराधीन | यह (धा०म० ) १ मिल कर गाना | २ बनाना । सकलन करना । ३ जाना। ४ चमकना । यह (अव्यया० ) प्रशंसा; वियोग; दृढ़ सङ्कल्प, स्;ा त्याग, बाधक श्रन्यय । आयु (वि० ) अमिमानी कोषी स्वार्थी रथय अहत (वि०) १ जो इत या चोटिल न हो । कारा | अनथुला हुआ। नवीन | व्यहतं ( न० ) कोरा या अनचुला वस्त्र अन् ( न० ) [ कर्ता - अहः, श्रद्धी-छहनी, अहानि, चहा, अहोभ्यां आदि] १ दिवस ( जिसमें रात भी शामिल है ) २ दिवस-काल । ( समास के अन्त में ग्रहन् का अहः; यहं, या अन्ह जाता है। इसी प्रकार समास के आदि में इसके रूप अहम् या प्रहर होते हैं जैसे ग्रहःपति या अहर्पति | -करः, ( पु० ) सूर्य | गया:, (पु०) १ दिनों का समूह । २ तीस दिन का मास। - दिवं, (अव्यया० ) नित्य प्रति । प्रति दिन दिनों दिन 1 - निश, (अन्यया० ) दिन रात । - पतिः, (पु० ) सूर्य । -बान्धवः, ( स्त्री० ) - मणिः, ( स्त्री० ) सूर्य मुखं, (न० ) दिन का आरम्भ। सवेरा । —शेषः, (पु०) -शेषं, ( न०) सायंकाल | सांझ। शाम । (सर्वनाम) मैं। आत्मसम्बन्धी | २ अभि मान। घमंड अहङ्कार-अधिका, ( स्त्री० ) श्रेष्ठता के लिये होड़ । प्रतिद्वन्द्वता - अहमह शिका, (स्त्री०) १ प्रतिद्वन्द्वता । स्प। ईर्ष्या २ अहङ्कार | ३ सैनिक स्पर्द्धाकारी। कारः, (५०) १ अहङ्कार। आत्महाघा | २ अभिमान | क्रोध । – कारिन्, (वि० ) अभिमानी। थात्मा- भिमानी । आत्मश्लावी । -कृतिः, ( स्त्री० ) । अभिमान । – पूर्व, (वि० ) प्रथम होने की अभिलाषा वाला 1-पूर्विका, - -प्रथमिका, ( वि० ) १ स्पर्धा | प्रतिद्वन्द्वता । २ आत्मलाषा । - भद्रं, (न० ) आत्मश्लाघा ।- भावः, (पु० ) अभिमान । अहङ्कार - मतिः ( स्त्री० ) १ अविद्या अज्ञान । अन्य में अन्य के धर्म को दिखाने वाला ज्ञान । २ लाषा । अभिमान | अहङ्कार । प्रहरणीय | (वि० ) १ जो चुराया न जा सके। हार्य}। जो ले जाया न जा सके । २ भक्त । ३ इढ । असं- कोची स्थिर प्रतिज्ञ | = 4
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