पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१२३

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अस्तमम पात । हास । -गमनं, ( न० ) १ अस्त होना | अदृष्ट होना | २ मृत्यु | जीवन रूपी सूर्य का अस्त होना । यस्तमनं ( न० ) ( सूर्य का ) डूबना । अस्तमयः (पु० ) १ (सूर्य का) डूबना । २ नाश | अन्त । हास । हानि । ३ पात । घशस्त्र | ४ ग्रसित होना । अस्ति (अव्यया० ) है। स्थिति । विद्यमानता । रहना । –नास्ति (अव्यया० ) सन्दिग्ध कुछ सही कुछ गलत । आगरं, अस्तिवं ( न० ) विद्यमानता। सत्ता अस्तेयं ( न० ) चोरी न करना। अचौर्य । यस्त्यानम् ( न० ) कलङ्क | अपवाद । (न०) फेंक के मारे जाने वाला हथियार, तलवार, बरछी भाला। बाण आदि । श्रगारं, (न०) सिलहखाना | हथियारों का भाण्डार- कण्टकः, (पु० ) तीर बाण । - चिकित्सक, ( पु० ) जर्राह । - चिकित्सा, (स्त्री०) जरांही । -जीवः, -जीविन, ( पु० ) - धारिन, (पु०) सिपाही । - निवारणं, (न० ) अस्त्र के चार को रोकना 1-मंत्रः, (पु० ) किसी अस्त्र के छोड़ने या लौटाने के समय पढ़ा जाने वाला मंत्र विशेष | -मार्जी, मार्जकः, (पु० ) सिगलीगर - युद्धं, (न० ) हथियारों की लड़ाई।– लाघवं, (न०) अस्त्र चलाने का कौशल । -विद्, (वि०) अविद्या का जानने वाला । –विद्या, ( स्त्री० ) - शास्त्रं, (न० ) – वेदः (पु० ) अस्त्रविद्या । -वृष्टिः, (स्त्री० ) अस्त्रों की वर्मा । – शिक्षा, ( स्त्री० ) सैनिक अभ्यास । अस्मिन् (वि० ) अस्त्रों से लड़ने वाला। धनुधर । अस्त्री ( स्त्री० ) १ स्त्री नहीं। २ व्याकरण में पुलिस और नपुंसकलिङ्ग । प्रस्थान ( वि० ) अति गहरा। अस्थानं (न०) १ बुरी या ग़लत जगह । २ अनुचित स्थान | अनुचित वस्तु | अनुचित अवसर | बेमौका ! स्थाने (अव्यया० ) बेमौक़े। कुठौर | ठीक स्थान पर नहीं अयोग्य पदार्थ | अस्मात अथवर (वि० ) चर | हिलने डुलने वाला । जो अचर न हो। जङ्गम अस्थि ( न० ) १ हड्डी २ फल का छिलका या गुठली। –कृत, – तेजस, (पु० ) , सम्भवः, -साः, स्नेहः, (पु० ) गूदा । -जः, ( पु० ) १] गुड़ा | २ वज्र । —तुण्डः, ( पु० ) पक्षी । चिड़िया / – धन्वन, ( पु० ) शिव जी का नाम - पक्षर, ( ० ) १ हड्डियों का पिंजरा । ठठरी। कंकाल। प्रक्षेपः, (पु० ) हड्डियों के गङ्गा या अन्य किसी तीर्थ के जल में डालने की क्रिया 1-भक्षः, ( पु० ) भुक्, हड्डी खाने वाला । कुता । भङ्गः ( पु० ) हड्डी का टूट जाना। -माला, ( स्त्री० ) १ हड्डियों की माला । २ हड्डियों की पंक्ति ।-मालिन्, ( पु० ) शिव जी का नाम 1-शेष, ( वि० ) लटकर हड्डी मात्र रह जाना । —सञ्चयः, ( पु० ) १ शवदाह के बाद जली हुई हड्डियों को बटोरना । २ हड्डियों का ढेर । –सन्धिः, ( स्त्री० ) जोड़ । ग्रन्थि संयोग । पर्व ।- समर्पणं ( न० ) हड्डियों का गङ्गाप्रवाह । - स्थूणः, ( पु० ) शरीर । स्थितिः ( स्त्री० ) दृढ़ता का अभाव । (आलं० ) शिष्टता का अभाव | अच्छे चालचलन का अभाव । घ्यस्थिर ( वि० ) जो स्थायी या दृढ़ न हो । चञ्चल । अस्पर्शनं ( न० ) असंसर्ग | किसी वस्तु का स्पर्श बचाना । अस्पष्ट (वि० ) १ जो साफ़ ( समझने या देखने योग्य ) न हो । २ सन्दिग्ध | [ पतित । अस्पृश ( वि० ) जो छूने योग्य न हो । २ अपवित्र । अस्फुट (वि० ) अस्पष्ट | सन्दिग्ध | अस्फुटं ( न० ) सन्दिग्ध आपण । - फलं, ( न० ) सन्दिग्ध या अस्पष्ट परिणाम | मद (वि० ) श्रात्मवाची सर्वनाम | देहाभिमानी जीव। मैं हम। यस्मदीय (वि० ) हमारा। हम लोगों का। अस्माकं ( सर्व० ) हमारा। अस्मार्त (वि० ) १ जो स्मरण के भीतर न हो। स्मरणातीत कालवाची २ थाईन विरुद्ध | धर्म