पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११६

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अश्वीय होता है)।-प्रजनी, (स्त्री०) चातुक | कोड़ा। -अधिक, (वि० ) जो घुड़सवारों की सेना में हो । जिसके पास घोड़े अधिक हों अध्यक्षः, (पु०) घुड़सवारों की सेना का कमाण्डर । -अनीकम्. ( न० ) घुड़सवारों की सेना | - अरिः, (पु० ) भैसा। - आयुर्वेदः, (पु०) साल- होत्र | - आरोहः ( पु० ) घुड़सवार। उरस, ( वि० ) घोड़े की तरह चौड़ी छाती वाला । - कर्णः, -कर्णकः ( पु० ) १ वृक्षविशेष | २ घोड़े का कान । -कुटी, ( स्त्री० ) अस्तबल । कुशल, कोविद, ( वि० ) घोड़ों को वश में करने की कला में कुशल |–खरजः, ( पु० ) खच्चर । -~-खुरः, (पु० ) घोड़े का खुर। गोष्ठं, ( न०) अस्तबल 1 -- घासः, (पु०) घोड़े का चारा । -चलनशाला, (स्त्रो०) घोड़े घुमाने कास्थान | - चिकित्सकः, वैद्यः, (पु०) सालहोत्री /-- साईस । – वाहः, - वाहकः, (पु०) घुड़सवार | -विदु, ( वि० ) घोड़ों को पालने और उनको चाल आदि सिखाने की कला में कुशल । ( पु० ) १ घोड़ों का सौदागर । २ राजा नल की उपाधि | -वृषः, ( पु० ) बीज का घोड़ा। वह घोड़ा जो घोड़ियों को ग्याभन करता हो । वैद्यः, (५० ) सालहोत्री ~~शाला, (स्त्री०) अस्तवल। तबेला । -शावः, (पु० ) घोड़ी का बछेड़ा।-शास्त्र (न०) सालहोत्र विद्या |-शृगालिका, (स्त्री०) स्यार और घोड़े की स्वाभाविक दुश्मनी । - सादः, - सादिन. (पु० ) घुड़सवार। सैनिक घुड़सवार | - सारथ्यं ( न० ) रथवानी। सारथीपन 1- स्थान, (वि० ) अस्तबल में उत्पन्न :- स्थानं, ( न०) अस्तबल । तबेला । -हृदयं, (न०) १ घोड़े की इच्छा या इरादा । २ शहसवारी । (वि० ) घोड़े की तरह । चिकित्सा, (स्त्री०) सालहोत्र । - जघनः, (पु०) | अश्वकः (०) १ | भाड़े का टट्टू । २ बुरा घोडा । ३ साधरणतः घोड़ा । वकिनी ( स्त्री० ) अश्विनी नक्षत्र | पौराणिक अघोटकाकृति अद्भुत मनुष्य - नायः, (पु०) घोड़ों का समूह | घोड़ों को चराने वाला 1- निबंधिकः, (पु०) साईस -पालः, - पालकः, - रतः, (पु०) घोड़े का साईस- बन्धः, (पु०) साईस-भा, (स्त्री०) बिजुली - महिषिका, (स्त्री०) घोड़े और भैसे की स्वाभा- विक शत्रुता । -मुख, (वि०) घोड़ेजैसा मुख या सिर वाला /-मुखः, (पु०) किन्नर 1-मुखी, (स्त्री०) किन्नरी /- मेघः, (पु०) यज्ञ विशेष जिसमें घोड़े का बलिदान दिया जाता है।- मेधिक, -मेधीय, ( वि० ) अश्वमेध यज्ञ के योग्य या (पु० ) [ स्त्री०-यश्वतरी ] खच्चर । अश्वत्थः ( पु० ) पीपल का पेड़ । अश्वथामन् (पु० ) यह द्रोण का पुत्र था। इसकी माता का नाम कृपी था । महाभारत के युद्ध में यह कौरवों की ओर से पाण्डवों से लड़ा था । यह सप्तचिरजिवियों में से एक है। अश्वस्तन ) (वि०) १ आने वाले कल का नहीं । अश्वस्तनिक | आज का | २ एक दिन के व्यवहार के लिये अनादि संग्रह करने वाला। अश्विक ( वि० ) घोड़ों से खींचा जाने वाला 1 अश्विन ( पु० ) चाबुक सवार - नौ, ( द्विवचन ) उससे सम्बन्ध रखने वाला । – युज, ( वि० ) ( गाड़ी ) जिसमें घोड़े जुते हों - रपः (पु० ) घोड़े का देवताओं के वैद्यों का नाम । सवार या साईस । – रथा ( स्त्री० ) गन्धमादन पर्वत के निकट बहने वाली एक नदी का नाम /- रक्षं, (न० ) – राजः, ( पु० ) सर्वोत्तम घोड़ा । घोड़ों का राजा अश्वः ( १०३ ) जाला ( स्त्री० ) सर्प विशेष | - वक्त्रः, (१०) किचर या गन्धर्व ।–वडवं, (न०) तबेला । अस्तबल, जहाँ घोड़े घोड़ी रखी जाँय !-वहः, (पु०) घुड़सवार। वारः, -वारकः, ( पु० ) चाबुकसवार । अश्विनी ( स्त्री० ) २७ नक्षत्रों में प्रथम । एक अप्सरा जो सूर्य की पत्नी मानी गयी है और जिसने घोडी बनकर सूर्य के साथ मैथुन करवाया था। कुमारौ, -पुत्रौ-सुनौ, (द्विवचन) सूर्यपत्नी अश्विनी के दो जुल पुत्र | अश्वीय (वि० ) घोड़ों का | घोड़ों से सम्बन्ध रखने वाला। घोड़ों के अनुकूल