पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११७

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अश्वीय ( न० ) घुड़सवारों का एक दस्ता । [डी] ( वि० ) छ: नेत्रों से न देखा हुआ | अर्थात् जिसे केवल दो पुरुषों ने जाना हो या जिस पर केवल दो पुरुषों ने विचार कर कुछ निश्चय किया हो । अषडीएम् (न० ) गोप्य गुप्त अषाढ (पु०) पाठ मास । अटक (वि० ) आठ भागों चाला । अठगुना । (पु०) जिसने पाणिनी व्याकरण के आठ ग्रन्थ पढ़े हों। अष्टकम् (२०) १ आठ भागों से बनी हुई समूची कोई वस्तु । २ पाणिनो के सूत्रों के ग्राठ अध्याय । ३ ऋग्वेद का भाग विशेष | ४ किन्हीं श्राठ वस्तुओं का एक समुदाय । ५ आठ की संख्या । अटका ( स्त्री० ) १ तीन दिवसों का समुदाय, ७मी, ८मी, हमी २ पौष, माघ और फागुन की कृष्णाष्टमी | ३ श्राद्ध जो उक्त तिथियों को किया जाता है। ( ११० ) अशङ्गः (N०) } चौपड़ की विद्धांत । अन् (वि०) आठ संख्या – अह, ग्रहन (वि०) आठ दिन तक होने वाला । - कर्णः, (वि०) आठ कानों वाला । ब्रह्मा की उपाधि । - कर्मन्. (पु०) -गतिकः ( पु० ) राजा जिसे प्रकार के कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता है वे आठ कर्म यह हैं :- प्रादाने व बिसमें तथा मैपनिषेपयोः । पने पार्थवचने व्यवदारस्य चेक्षते । दरडोः सदा रक्त तेसको नृपः | -कृत्वस ( अन्यया० ) आठगुना – कोणः, ( पु०) आठ पहलू या ग्राउकोना । - गुण, (वि०) आठगुना-गुणम् (न०) आठ प्रकार के गुरु जो ब्राह्मण में होने चाहिये। वे आठण ये हैं :-- दया सर्वभूतेषु शंति, धन्यूया, शौचं, बनायास: मङ्गलस्, खकार्यपयस, खरदा, चेति॥ -गौतम । -चत्वारिंशत् (बी०) (=अष्टचत्वारिंशत) ४८ अड़तालीस । - तय, ( वि० ) अठगुना | अष्टमक - त्रिंशत, ( वि० ) ३८ | तीस | – त्रिकं, ( न० ) २४ की संख्या /दलं, ( न० ) आठदल का कमल – दिशू, ( स्त्री० ) आठ दिशाएं |– दिक्पालाः, (पु०) आठों दिशाओं के अधिष्ठाता । आठ दिपाल ये हैं :- इन्द्रो बन्दः पवित् दुबेर ईशः पतयः पूर्वादीनां दिशां क्रमात् ॥ धातुः ( पु० ) सोना, चाँदी, तांबा, रांगा, सीसा, लोहा, यशद रस (पारा ) 1-पदः, (अष्टापदः) ( पु० ) १ मकही । २ शरभ | ३ कील । कांटा। ४ कैलास पर्वत – पदं (अशपदम् ) ( न० ) १ सुवर्ण । २ वस्त्र विशेष । मङ्गलः, ( पु० ) घंदा जिसका मुख, पूंछ, अयाल, छाती और खुर सफेद हों। - मङ्गलबू ( न० ) आठ माङ्गलिक द्रव्यों का समुदाय । वे आठ ये हैं :- मृगराज यो नागः कलशो व्यजनं तथा । वैजयन्ती तथा मेरी दीप दस्यमङ्गलम् । स्थानान्तरे - लोकऽस्मिन्मङ्गलान्यष्टी व झो गोर्जुनाशनः । हिरपयं सर्पदरादित्यायो रामा तामः ॥ -मूर्तिः, (पु०) शिवजी की उपाधि । -रत्नः, आटरत्न |-- रसाः, ( बहुव० ) नाट्य शास्त्र के अाठरस। यथा । रहायक चोर भवानकाः | षोभटप्स द्रुतमन्त्री चेत्यष्टी नाट्य रखाः स्मृताः । -विध, ( वि० ) आठप्रकार | - विंशतिः, (स्त्री०, २८ अट्ठाइस - श्रवणः - श्रवस् (५०) चारमुख और आठकानों वाले ब्रह्मा जी । अष्ट (वि) आठ भाग या आठ अवयच वाला। अयम् (न० ) आाठ का औसत । अधा (अन्य ) आठ गुना | आठ बार आठ प्रकार से आठ भाग में । म (वि०) आठवाँ अष्टमः ( पु० ) आठवाँ भाग अष्टमी (स्त्री० ) चान्द्रमास का थाठवाँ दिवस पत की आठवीं तिथि । मक (वि० ) आठवाँ । यशमसकंदरेत् | यशवस्त्रय ||