पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११५

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अशोकः अष्टमी । तः, नमः, वृत्तः, (पु० ) अशोक वृक्ष । —त्रिरात्रः, – ( पु०) त्रिरात्रम् ( न० ) तीन रात व्यापी व्रत या उत्सव विशेष | अशोकः ( पु० ) १ वृत्त विशेष | २ विष्णु । ३ मौर्य राजवंश का एक प्रसिद्ध राजा । अशोकम् (न० ) १ अशोक वृक्ष का फूल जो कामदेव के पांच सरों में से एक माना जाता है। २ पारा । ( १०८ पारद । शोच्य (वि० ) शोच करने या शेकान्वित होने के अयोग्य | जिसके लिये शोक करना उचित नहीं । अशाचं (न) अपवित्रता | गंदगी| मैलापन | २ जनन या सरण का सूतक अश्नया ( स्त्री० ) भूख । बुभुक्षा । अश्नीतपिवता (स्त्री०) न्योता जिसमें आमंत्रित जन खिलाये पिलाये जाते हैं । “अनोतपितीयन्ती अमृता स्मरकर्मणि ।” --भट्टीकाव्य | अश्मकः ( बहुवचन ) (पु० ) १ दक्षिण के एक देश विशेष का नाम । २ उक्तदेशवासी । अश्मन् ( पु० ) पत्थर | २ चकमकपत्थर । ३ यादल । ४ कुलिश वज्र |-- उत्थं, ( न ) रा। कुछ कुक, (वि० ) पत्थर पर फोड़ी हुई ( कोई भी चीज़ ) 1-गर्भः, ( पु० ), गर्भ, (न०) गर्भजः, (पु०) -गर्भजं, – (न०) योनिः, ( पु० ) पना । —जः, ( पु० ) - जम्, ( न० ) १ गेरू । २ लोहा ।—जतु, - जतुकं, (न० ) राल । - जातिः, ( पु० ) पक्षा-दारणः, (पु०) हथौदा जिससे पत्थर तोड़े जाते हैं । -~-पुष्पं, (न०) राल । -भालं. (न०) पत्थर या लोहे का इमामदस्ता या खरल।सार, ( वि० ) पत्थर या लोहे की तरह। - सारं, ( न० ) – सारः, ( पु० ) १ लोहा | २ पुखराज | नीलमणि । अश्मंतं । ( न०) १ अलाउ वह स्थान जहाँ आग अश्मन्तम् ) जलाकर रखी जाय। २ क्षेत्र । मैदान । ३ मृत्यु | अश्मंतकः, अश्मन्तकः ( पु० ) अश्मंतकम्, अश्मन्तकम् ( न० ) } अलाउ । अग्नि- ) प्रश्व कुण्ड । (पु०) एक पौधे का नाम जिसके रेशों से ब्राह्मणों का कटिसूत्र बनाया जाता है। अश्मरी ( स्त्री० ) पथरी रोग | प्रश्नः (पु० ) कौना । अ (न० ) आंसू | २ रक्त । -पः, ( पु० ) रक्त- पायी। खून पीने वाला। अश्रवण (वि० ) बहरा। जिसके कान न हों। अश्रवणः ( पु० ) सर्प सौंप । अश्राद्धभोजिन् ( वि० ) ऐसा ब्राह्मण जिसने श्राद्धान्न न खाने का व्रत धारण किया हो। प्रश्रान्त ( वि० ) १ जो थका हुआ न हो । अथक । २ लगातार निरन्तर ( अव्यया० ) लगातार रोस्या | निरन्तर रीत्या अ) ( स्त्री० ) १ कोना । कोण | २ किसी श्री हथियार का वह किनारा जो पैना होता है। किसी भी वस्तु का पैना किनारा । प्रश्रीक ) ( वि० ) १ जिसमें चमक या सौन्दर्यं न अश्रील) हो। पीला | २ श्रभागा । जो समृद्धि - शाली न हो । अधू] ( न० ) आँसू - उपहत (वि० ) आँसूओं से भरा हुआ । -कला, ( स्त्री० ) आँसू की बूंद-परिप्लुत, (वि० ) आँसुओं से तर | आँसुओं से नहाया हुआ /-पातः, ( पु० ) आँसूओं का बहना |-- लोचन, नेत्र, ( वि० ) आँखों में आँसू भरे हुए। अश्रुत ( वि० ) १ जो सुना न गया हो। जो सुनाई न पड़े। २ मूर्ख। अशिक्षित अश्रौत (वि० ) वेदविरुद्ध | अश्रेयस् ( वि० ) अपेक्षाकृत जो उत्कृष्ट न हो । अपकृष्टवर । ( न० ) उपद्रव । दुःख लील ( वि. ) १ अप्रिय कुरूप २ गँवारू । फूहर भद्दा असभ्य | ३ कुवाथ्य | [ गलौज । अलीलम् ( न० ) फूहर वोलचाल । बुरी गाली अश्लेषा ( स्त्री० ) १ नव नचत्र | २ धनमिल। अनैक्य -जः, –भूः, - भवः, ( पु० ) केतुग्रह का नाम । अश्वः (०) १ घोड़ा । २ सात की संख्या ३ मानवी जाति विशेष ( जिसमें घोड़े जितना बल