पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१००

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अलगई कोई देख न सके ।-जन्मना ( वि० ) अज्ञात उत्पत्ति । अस्पष्ट उत्पत्ति । अलगर्दः (पु० ) पानी का सौंप । थलघु (वि० ) [ स्त्री० अलध्वी ] जो हल्का न हो। भारी । वदा । २ जो छोटा न हो। लंवा ३ संगीन गम्भीर ४ बहुत वदा। अत्यन्त प्रचण्ड प्रवल उपलः, ( पु० ) चहान | अलंकरणम्) ( न० ) १ सजावट | शृङ्गार | अलङ्करणम्। २ आसूपण गहना | "परस्म मलंकरणम् भुगः" भत्त हरिः अलंकरिष्णु ) ( वि० ) १ गहनों का शौकीन । अलङ्करि । २ सजावटी। सजाने में निपुण अलंकारः (पु० ) सजावट अलङ्कारा अंग ४ अलङ्कार शाख अलङ्कारकः } ( दु० ) गढ़ना । सजावट। अलंकृतिः } ( स्खी० ) १ सजावद । २ आभूषण अलङ्कृतिः ) ( कर्णालंकृति धमरु ) ३ साहित्य शास्त्र का एक आभूषण अलिगई: } अलंबुषः ) ( पु० ) ३ वमन | छार्द के थोकी अलम्बुषः १२ खुले हुए हाथ की हथेली ३ रावण के एक राक्षस सैनिक का नाम ४ एक राक्षस जिसे महाभारत के युद्ध में घटोत्कच ने मारा था। प्रलय (वि० ) १ गृहहीन। आवारा । २ जो कभी नाश को प्राप्त नहो। अविनश्वर | शृङ्गार | २ आभूषण प्रलयः ( पु० ) १ स्थायित्व | २ उत्पत्ति | पैदायश | अलर्क ( पु० ) १ पागल कुत्ता २ सफेद मदार या अकौआ | ३ एक राजा का नाम । गहना । ३ साहित्य शास्त्र का एक | खजले (अध्या० ) पैशाची भाषा का शब्द जो नाटकों में बहुधा व्यवहृत होता है। अलवालं (न० ) पेड़ की जड़ का खोडुआ या घाला, जिसमें जल भर दिया जाता है। अलस् (वि०) जो चमकीला न हो या जो चमके नहीं । (०) क्रियाशील। जिसके शरीर में चेष्टाहीन। फुर्ती न हो। सुस्त । काहिल | २ श्रान्त थका हुआ। ३ मृदु । कोमल ४ मन्द अलसक (वि० ) अकर्मण्य | काहिल । सुस्त । अातः (०) अधजला काठ या लकड़ी । थजातम् (म० ) ) जलता हुआ काठ या जकड़ी। श्रावुः (स्त्री०) } तुम्बी लानु । तुमहिया–बु तुमही का बना बरतन| तुम का फल /-कटं, (न० ) तुमड़ी की रज । अलारं ( न० ) दरवाज़ा | | अलिः (पु० ) १ भौरा | २ बिच्छू | ३ काफ। कौश्रा | ४ कोयल | ५ मंदिरा |–कुलम्, (म० ) भौरों का कुंड/- मियः, ( पु० ) कमल (-विरावः, ( पु० ) ~~हतं, (न० ) भौरों का गुआर | अलिकं ( २०:) माया। अजिन् (पु० ) १ बिच्छू | २ शहद की मक्खी | अलिनी (स्त्री० ) शहद की मक्खियों का समुदाय अजिगईः ( पु० ) सर्प विशेष | अलंकिया ( श्री० ) सजावट शृङ्गार अलड़िया 5 } लंघनीय ) ( वि० ) पहुँच के बाहिर अतिक्रम- अलनीय ) णीय | दुरतिक्रम। अनुलढ्य अजः (पु० ) पक्षी विशेष | ( स्त्री० ) : मुंडी । गोरखमुण्डी । २ स्वर्ग की एक अप्सरा | ३ दूसरे का आना रोकने के लिये खींची गयी लकीर। ४ हुई- सुई। लजालू पौधा | ( स्त्री० ) एक देश का नाम | अलंडुपा ) अलम्बुपा अलंबुसा अलम्बुसा अतंजर, अलञ्जर: ( ( पु० ) वहा । मिट्टी का | अलावू: ( न०) ) अलंजुरः, अलब्जुर । धड़ा। चलम् (अव्यया० ) ( वि० ) काफी । पर्याप्त । यथो- चित उपयुक्त-कमण. (वि० ) निपुण । कुषाल। - धूमः ( पु० ) सधन धुआँ । चत्व- धिक धुआपुरुषोण (वि०) मनुष्योचित | मनुष्य के लिये पर्याप्त 1-भूष्णु (. वि० ) योग्य कुशल अलंपट (वि०) जो लंपट या विषयी न हो। अलम्पट / शुद्ध चरित्र वाला। अलंपट: अलस्पटः ( पु० ) अनाना कमरा जनानखाना|| I