पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१०१

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अलिंग लिंग ) (वि० ) १ जिसके कोई विशिष्ट चिन्ह न लिङ्ग) हो। जिसके कोई चिन्ह न हो । २ डरे चिन्हों वाला । ३ (व्याकरण में ) जिसका कोई लिङ्ग न हो। ( ₹४ ) अवकीर्णी अल्पशः (अव्यया० ) थोड़े अंश में थोड़ा | | अल्पीक ( धा० उभय० ) छोटा करना | घटाना | संख्या में कम करना [ छोटा या कम | अल्पीयस् (वि० ) अपेक्षाकृत कम या छोटा । बहुत अ ( स्त्री० ) माता (सम्बोधनकारक में “ल”)। अव ( धा० परस्मै० ) [ अदति, अवित, या ऊत ] १ बचाना। रक्षा करना सहारा देना २ प्रसन्न करना। सन्तुष्ट करना। आनन्द देना ३ पसंद करना इच्छा करना । अभिलाषा करना | ४ कृपा करना। अनुग्रह करना। उत्सति करना । [ यद्यपि धातुरूपावली में इस धातु के और भी बहुत से अर्थ दिये हैं; किन्तु उन अर्थों में इस धातु का प्रयोग वर्तमान संस्कृतसाहित्य में बहुत कम होता है।] कोयल । २ शहद की मक्खी । [२ मिथ्या | पलीक (वि० ) १ अप्रसन्नकर । अरुचिकर | अलीकं (न० ) १ माथा । २ झूठ असल्य [दग़ा। पलोकिन् (वि) अरुचिकर अप्रसन्जकर २ झूठ । पल्लुः (पु० ) एक छोटा जलपात्र । पलूक्ष (वि० ) कोमल । नम्र | पले } (अव्यया० ) अर्थशून्य शब्द जो नाटकों व ( अव्यया० ) १ दूर फासले पर | नीचे | पिशाचों का संवाद मलेले ) के उस दृश्य में जहाँ होता है, प्रयुक्त किया जाता है। प्रलेपक ( वि० ) निष्कलङ्क | अलेपक (पु० ) ब्रह्म की उपाधि | अलोक ( चि० ) २ ( जब यह किसी क्रिया में "उपसर्ग" होता है तथ ये निग्न भाव प्रकट करता है :-) १ संकल्प। विचार | २ फैलाव | बहाय । विस्तार | ३ प्रवज्ञा । अवहेला । ४ स्वल्पता ५ अवलम्ब ६ शोधन । शुद्धता । निर्मलता अदृश्य । जो देख न पड़े। २ जिसमें कोई प्रादमी भी न हो । ३ ऐसा जीव जो मरने के बाद अन्य किसी लोक में न जाय । अलोकः ( पु० ) ११ लोक नहीं । २ लोक का नाश अलोकम् (न० ) ) मनुष्यों का अभाव । - सामान्य (वि० ) असाधारण । अलोकनम् (न० ) अदृश्यता । हद । (वि० ) १ स्थिर | टिका हुआ । २ मज़बूत | ३ अचञ्चल | ४ जो प्यासानं हो । इच्छा से रहित कामनाशून्य । ( वि० ) १ कामनाशून्य । जो लालची न हो । लोलुप न हो । थलौकिक (वि०) [स्त्री० --अलौकिकी ] १ इस लोक का नहीं। चमत्कारी । लिंजर: । fast: S लिंदः ) (पु० ) घर के द्वार के सामने का चबूतरा रजिन्द या चौतरा | नलिएकः ( पु० ) १ ३ कुत्ता | ( पु० ) पानी का घड़ा। अल्प (वि० ) १ तुच्छ । २ थोड़ा । जरासा ३ विनाशी । थोड़े दिनों का ४ दुर्लभ । व्यवकट (वि० ) १ नीचे की ओर। पीछे की ओर। २ प्रतिकूल | विरुव । अवकटम् ( न० ) विस्ता। प्रतिकूलता । अवकरः (पु० ) धूल । चुहारन । कर्तः (पु० ) टुकड़ा। धज्जी । कतरन । अवकर्तनम् (न० ) काटन | कतरन । अवकम् ( न० ) १ बाहिर निकालने या खींचकर बाहिर निकालने की क्रिया | २ बहिष्करण | अवकलित (वि० ) १ देखा हुआ । अवलोकन किया हुआ। २ जना हुआ। ३ लिया हुआ ग्रहस्य किया हुआ । प्राप्त । अवकाशः ( पु० ) १ अवसर । मौका | २ खाली वक्त । फुर्सत छुट्टी ३ स्थान | जगह | ४ शून्य जगह । ५ दूरी। अन्तर । फासला अल्पकं ( वि० ) [ स्त्री०- अल्पका ] १ कम । अवकीर्णन (वि० ) व्रत से च्युत | धर्म से नष्ट | थोदा २ छद्र घृणायोग्य अल्पंपचः ( पु० ) कंजूस। लोभी। लालची । अवकीर्णी ( पु० ) वह ब्रह्मचारी जिसने अपना ब्रह्मचर्य व्रत भङ्ग कर दिया हो।