पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटेश्वरसुप्रभातस्तोत्रम्.pdf/६

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श्रीवेंकटेश्र्वर सुप्रभात स्तोत्त्र ! कौसल्या-गर्भ शुक्ति- मुक्ताफल पुरूषोतम जागो राम। भोर हो रही है, करने दैवान्हिक- कार्य उठो घनश्याम!॥१॥

उठो उठि गोविन्द हरे! गरूडध्वज उठो सकल गुणधाम१

कमलावल्लभ उठो, बनाओ त्त्रिजगों को शुभ-मंगल धाम!॥२॥

सकल जगों कि मां! मधुकैटभहारि हरि की हृदयविहारिणि!

मनमोहिनी-मूर्ति-शोभित जननी१ पूज्ये! अग-जग-स्वामिनि! आश्रित-भक्तों को मंगल बरसानेवाली चिंतामणि! मंगलमय प्रभात हो मां तव श्रीवेंकटगिरिनाथजृहिणि!॥३॥

सुप्रभात हो कमल लोचन। शुचि-प्रसन्न-मुख-विधुवरालये। विधिशिवेंद्रवनिताभिरचिंते! वृषगिरिशजाये! दयालये!॥४॥

अत्त्रि आदि सातों ऋषि संध्याचंदन कर, नभ गांगकमल लिये म्नोहर स्तबकों में मकरंदमधुसहित वर परिमल! जाये हैं, पूजित समंकृत करने प्रभु के चरणकमल! शेषशैलस्वामिन् ! जागो ! होवे तव सुप्रभात भगवन्!॥५॥