पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/७

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BISS श्रीविष्णवे नमः। श्रीविष्णुगीता की विषयानुक्रमणिका। IST - प्रथम अध्याय विषय लिया जा ... mas पृष्टाङ्क वैराग्ययोगवर्णन ..............१-१९ सूतजीकी प्रार्थना । (१) देवलोकमें देवताओंको निर्भय करने के लिये श्री. भगवान् महाविष्णुने आविर्भूत होकर जो उपदेश दिये थे उनके श्रवण करनेके विषयकी व्यासजीसे सूतकी प्रार्थना . १-२ व्यासजीकी आज्ञा। (२) संसारका द्वन्द्वात्मक होना, द्वन्द्वोंके सामञ्जस्यको रक्षाके लिये दैवजगत्में देवता और असुरोका प्रभुत्व, देवताओंके प्राधान्यसे सृष्टिका सामञ्जस्य और उनकी अप्रधानताले सृष्टि में नाना विपर्याय, एकके तपःक्षयसे दूसरेका प्राधान्य और इसी कारण देवासुरसंग्रामका नित्यत्व एवं भूनांगर इसी निमित्तको लेकर नैमित्तिक संग्रामका होना (३) भोगवृद्धिसे देवताओंके तपःक्षय होने पर देवराज्यके कुछ अंशोका असुरोके द्वारा अधिकृत होना और नारदजीके उपदेशसे देवताओंका तपस्या करना, देवताओंकी तपस्यासे प्रसन्न होकर श्रीमहाविष्णुका दर्शन देना, महामायाकी सहायतासे देवताओं के प्रकृतिस्थ होने पर उनके द्वारा महाविष्णुका स्वरूप वर्णन .............. ४-६