पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१९२

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रजि- (२०) (१६) प्रतिवर्ष का चन्दा २) मेम्बर महाशयोंको जनवरी महीनेमें आगामी भेज देना होगा। यदि किसी कारण विशेषसे जनवरीके अन्ततक रुपया न आवे तो और एक मास अर्थात् फरवरी मास तक अवकाश दिया जायगा और इसके बाद अर्थात् मार्च महीनेमें रुपया न पानेसे मेम्बर महाशयका नाम काट दिया जायगा और फिर वे इस समाजहितकारी कोष से लाभ नहीं उठा सकेंगे। (२०) मेम्बर महाशयका पूर्व नियमके अनुसार नाम कट जानेपर यदि कोई असाधारण कारण दिखाकर वे अपना हक साबित रखना चाहेंगे तो कमेटीको इस विषयमें विचार करने- का अधिकार मई मासतक रहेगा और यदि उनका नाम रजि- स्टरमें पुनः दर्ज किया जायगा तो उन्हें ।) हर्जाना समेत चन्दा अर्थात् 1) देकर नाम दर्ज करालेना होगा । ( २१ ) वर्ष के अन्दर जब कभी कोई नये मेम्बर होंगे तो उन- को उस सालका पूरा चन्दा देना होगा । वर्षारम्भ जनवरीसे समझा जायगा। (२२) हरसाल के मार्च मास में परलोकगत मेम्बरोंके नि र्वाचित व्यक्तियोंको 'समाजहितकारी कोष' की गतवर्ष सहायता बाँटी जायगी ; परन्तु नं० १२ के नियमके अनुसार सहा- यताके बाँटनेका अधिकार कमेटीको सालभर तक रहेगा। (२३) इन नियमों के घटाने-बढ़ानेका अधिकार 'महामण्डल को रहेगा। (२४) इस कोष की सहायता श्रीभारतधर्म महामण्डल, प्रधान कार्यालय, काशी' से ही दी जायगी। सेक्रेटरी, श्रीभारतधर्ममहामण्डल, जगत्गंज, बनारस। । श्रीमहामण्डलका शास्त्रप्रकाशविभाग। यह विभाग बहुत विस्तृत है । अपूर्व संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी पुस्तक काशी प्रधानकार्यालय (जगत्गंज) में मिलती हैं। बंगला सीरीज कलकत्ता दफ्तर (९२वहूघाजारस्ट्रीट में) व उर्दू सिरीज फीरोजपुर [पञ्जाब दफ्तरमे मिलती है और इसी प्रकार अन्यान्य प्रान्तीय कार्यालयों में प्रान्तीय भाषाओंके ग्रन्थोका प्रबन्ध हो रहा है।