पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१९३

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति

। । आर्यमाहिलाके नियम। १--श्रीआर्य्यमहिलाहितकारिणी महापरिषद्की मुखपत्रिकाके रूपमें आर्यमहिला प्रकाशित होती है। २--महापरिषद्की सब प्रकारकी सभ्या महोदयाओं और सभ्य महोदयोंको यह पत्रिका विना मूल्य दीजाती है। अन्य ग्राहकोको ६) वार्षिक अग्रिम देने पर प्राप्त होती है । प्रतिसंख्याका मूल्य १) है । पुस्तकालयों तथा वाचनालयों को ३) वार्षिकमें हीदी जाती है ३-किसी लेखको घटाने बढ़ाने वा प्रकाशित करने न करनेको सम्पूर्ण अधिकार सम्पादिकाको है । योग्य लेखको तथाले खिकाओं को नियत पारितोषिक दिया जाता है और विशेष योग्य लेखको तथा लेखिकाओंको अन्यान्य प्रकार से भी सम्मानित किया जाता है। ४-हिन्दी लिखने में असमर्थ मौलिक लेखक-लेखिकाओंके लेखोंका अनुवाद कार्यालयसे कराकर छापा जाता है। ५--समालोचनार्थ पुस्तके, लेख, परिवर्तनकी पत्र-पत्रिकाएँ, कार्यालय-सम्बन्धी पत्र, छपने योग्य विज्ञापन और रुपया आदि सब निम्नलिखित पते पर आना चाहिये। पण्डित रामगोविन्द त्रिवेदी वेदान्तशास्त्री मैनेजर आर्यमहिला श्रीमहामण्डलभवन जगत्गंज बनारस। एजन्टोंकी आवश्यकता। श्रीभारतधर्म महामण्डल और आर्य महिला हितकारिणी महापरिषद्के मेम्बरसंग्रह और पुस्तकविक्रय आदिके लिये भारतवर्षके प्रत्येक नगरमें एजण्टोंकी जरूरत है। एजन्टोको पारितोषिक दिया जायगा । इस विषयके नियम श्रीमहामण्डल प्रधान कार्यालयमें पत्र भेजनेसे मिलेंगे। सैक्रेटरी श्रीभारतधर्म महामण्डल जगत्गंज बनारस।