पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१९०

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(१८) - १ समाजहितकारी कोष। ( यह कोष श्रीमहामण्डलके सब प्रकारके सभ्योंके-जो इसमें सम्मिलित होंगे--निर्वाचित व्यक्तियोंको आर्थिक सहायताके लिये खोला गया है) (५) जो सभ्य नियमित प्रतिवर्ष चन्दा देते रहेंगे उनके देहान्त होने पर जिनका नाम वे दर्ज करा 'जायँगे, श्रीमहामण्डलके इस कोष द्वारा उनको आर्थिक सहायता पहुँचेगी। (६) जो मेम्बर कमसे कम तीन वर्ष तक मेम्बर रहकर लोका- न्तरित हुए हों, केवल उन्हींके निर्वाचित व्यक्तियोंको इस समाज हितकारी कोषकी सहायता प्राप्त होगी, अन्यथा नहीं दी जायगी । (७) यदि कोई सभ्य महोदय अपने निर्वाचित व्यक्तिके नामको श्रीमहामण्डलप्रधानकार्यालयके रजिस्टर में परिवर्तन कराना चाहेंगे तो ऐसा परिवर्तन एक वार विना किसी व्ययके किया जायगा। उसके बाद वैसा परिवर्तन पुनः कराना चाहे तो।) भेजकर परिः वर्तन करा सकेंगे। (८) इस विभागमे साधारण सभ्य और इस कोषके सहायक अन्यान्य सभ्योंकी ओरसे प्रतिवर्ष जो आमदनी होगी उसका आधा अंश श्रीमहामण्डलके छपाई-विभागको मासिक पत्रोंकी छपाई और प्रकाश आदि कार्यके लिये दिया जायगा। बाकी आधा रुपया एक स्वतन्त्र कोषमें रक्खा जायगा जिस कोषका नाम " समाजहित कारी कोष" होगा। (8) " समाजहितकारी कोष " का रुपया बैंक ऑफ बंगाल अथवा ऐसे ही विश्वस्त बैंकमें रक्खा जायगा । १०) इस कोषके प्रबन्धके लिये एक खास कमेटी रहेगी। ११) इस कोषकी आमदनीका आधा रुपया, प्रतिवर्ष इस कोषके सहायक जिन मेम्बरोंकी मृत्यु होगी, उनके निर्वाचित व्यक्तियों में समानरूपसे बाँट दिया जायगा। (१२) इस कोषमें बाकी आधे रुपयोंके जमा रखनेसे जो लाभ होगा, उससे श्रीमहामण्डलके कार्यकर्ताओं तथा मेम्बरोंके क्लेशका विशेष कारण उपस्थित होनेपर उन क्लेशोंको दूर करने के लिये कमेटी व्यय कर सकेगी।