पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१८९

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श्रीमहामण्डलके मुखपत्रसम्बन्धी उपनियम | (१) धर्मशिक्षाप्रचार, सनातनधर्मचर्चा, सामाजिकउन्नति, सद्विद्याविस्तार, श्रीमहामण्डलके कार्योंके समाचारोंकी प्रसिद्धि और सभ्योंको यथासम्भव सहायता पहुँचाना आदि लक्ष्य रख कर श्रीमहामण्डलके प्रधान कार्यालय द्वारा भारत के विभिन्न प्रान्तों- में प्रचलित देशभाषाओंमें मासिक पत्र नियमितरूपसे प्रचार किये जायेंगे। (२) अभी केवल हिन्दी और अंग्रेजी-इन दो भाषाओंके दो मासिक पत्र प्रधान कार्यालयसे प्रकाशित हो रहे हैं। यदि इन नियमोंके अनुसार कार्य करने पर विशेष सफलता और सभ्योंकी विशेष इच्छा पाई जायगी तो भारत के विभिन्न प्रान्तोंकी देश- भाषाओंमें भी क्रमशः मासिक पत्र प्रकाशित करनेका विचार रक्खा गया है। इन मासिक पत्रों मेंसे प्रत्येक मेम्बरको एक एक मासिक पत्र, जो वे चाहेंगे, विना मूल्य दिया जायगा । कमसे कम दो हजार सभ्य महोदयगण जिस भाषाका मासिक पत्र चाहेंगे, उसी भाषामें मासिक पत्र प्रकाशित करना आरम्भ कर दिया जायगा; परन्तु जबतक उस भाषाका मासिक पत्र प्रकाशित न हो तब तक श्रीम- हामण्डलका हिन्दी अथवा अंगरेजीका मासिक पत्र विना मूल्य दिया जायगा। (३) श्रीमहामण्डलके साधारण सभ्योंको वार्षिक दो रुपये चन्दा देने पर इन नियमोंके अनुसार सब सुविधाएँ प्राप्त होगी। श्रीमहामण्डलके अन्य प्रकारके सभ्य जो धर्मोन्नति और हिन्दू. समाजकी सहायताके विचारसे अथवा. अपनी सुविधाके विचारसे इस विभागमें स्वतन्त्र रीतिसे कमसे कम २) दो रुपये वार्षिक नियमित चन्दा देगे वे भी इस कार्यविभागकी सब सुबिधाएँ प्राप्त कर सकेंगे। (४) इस विभागके रजिस्टर दर्ज सभ्योंको श्रीमहामण्डलके अन्य प्रकारके सभ्योंकी रीतिपर श्रीमहामण्डलसे सम्बन्धयुक्त सब पुस्तकादि अपेक्षाकृत स्वल्प मूल्यपर मिला करेंगी।