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श्रीरस्तु
श्रीललितासहस्रनामावलिः
बों-४ श्रीमाने भीमः | २४ कामेशबह्माङ्गस्यसूत्रशोभितकन्धरायं |
श्रीमहारार्थं | |
श्रीमसिहासने स्वयं | ओं•xफनकाङ्गदकेयूरकमनीयभुजान्वितायें |
चिदग्निकुण्डसम्भूतायै | रनरैबेयचिन्ताकलोलमुक्ताफलान्वितायं |
देवकार्यसमद्ययं | कामेश्वरप्रेभरलमणिप्रतिपणस्तये |
उद्यद्भानुसहस्रभाषा | नाम्यालयलरोमालिलप्तफलकुचद्वये |
चतुर्बाहुसमन्वितायै | लक्ष्यलोभलताधारतासमनेयमष्पम ये |
रागस्वरूपाशढचय | सनभारवसम्भध्यपट्टबन्धवलित्रयाएं |
क्रोधाकारइकुशोज्वलायं | अरुणारुणकौसुम्भवस्त्रभास्वत्कीतटर्षे |
वों•४ मनोरूपधृकोदण्डर्षे | रंगकिङ्किणिङ्कारम्यरचनादामभूषिताएं |
ऑों•qपतन्मनसायकये | कामेशञ्जतसौभाग्यमदघोरदूषान्वितायै |
निजामरुणप्रभापुरमजजह्माण्डमण्डलयं | ब¥ माणिक्यकुटाकरजानुद्वयविराजि- |
चम्पकाशोकपुन्नागसौगन्धिकसलयं | तार्षे |
कुरुविन्दमणिश्रेणोकनकोटीरमण्डितायै | बों- इन्द्रगोपपरिक्षिप्तस्मरतूणाभजद्भि- |
अष्टमीचन्द्रबिभ्राजदलिकस्थलशोभितायै | |
मूखचन्द्रकलङ्काभमृगनाभिविशेषकरं | गूढगुल्फाएँ |
वदनस्परमाङ्गस्यगृहतोरणंचल्लिकयै | कूर्मपृष्ठजयिष्णुमपदान्विताये |
वक्त्रलक्ष्मीप्रोवाचलन्मीनभलोचनाएं | नखदीधितिसश्छन्नममज्जमतमोगुणायै |
नवचम्पकपुष्पाभनाप्तदण्डविशजितायै | पदद्यप्रभाजलपराकूत्रसरोरुहाये |
ओं-४ तारकान्तितिरस्कारिनासभरण-
भासुरयं ||सिञ्जानमणिमञ्जरमण्डितश्रीपदाचू | |
बों-४ कदम्बमञ्शरीकर्तकपूरमनो | मरलीमन्दगमनाये |
है महलवण्यशेषषये | |
ताटङ्कयुगलोभूततपनोडुपमण्डलत्रं | सर्यारुणायं |
पञ्जरगशिलादर्शपरिमाविकपोलभूवे | ओं¥ अमषान्नभं |
नवविद्मबिम्बभन्यक्कारिदशनच्छदायं | श्रों-४ सर्वाभरणभूषितायं |
धुदविद्याइराक़रजिषमतद्यो | शिधकमेश्वराङ्कस्थाई |
ज्ज्वलायै | शिवायै |
कफ़्रवीटिकामोदसमाकषिदिगन्तरायं | स्वाधीनवल्लभायं |
निजसल्लापमाधुर्यविनिर्भासतकच्छप्यं | मध्यस्थायी |
मन्दस्मितम्भपूरमञ्जरभेशमानसायै | श्रीमन्नगरनायिकये । |
अनाकलितसादृश्यचिबुकविराजितायं | चिन्तामणिगृहान्तस्यायं
जायें |