पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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सर्गसङ्ख्या | विषयः | पुटसङ्ख्या |
५० | जनकसमागमः | .... .... ३६९ |
५१ | विश्वामित्रचरितोपक्रमः | .... .... ३७३ |
५२ | वसिष्ठातिथ्यम् | .... .... ३७८ |
५३ | कामधेनुप्राप्त्युद्यमः | .... .... ३८२ |
५४ | विश्वामित्रबलविमर्दनम् | .... .... ३८६ |
५५ | विश्वामित्रधनुर्वेदाधिगमः | .... .... ३९० |
श्लोकसङ्ख्या | ५० | |
अथ ते मिथिलां प्रापुः, जनकस्तानपूजयत् ॥ | .... | ३७१ |
५१ | ||
७२ तत्राब्रवीत् शतानन्दः विश्वामित्रकथां मुदा । | .... | ३७३ |
अयं गाधिसुतः पूर्वं राजाऽऽसीत् सुबहुश्रुतः ॥ | .... | ३७५ |
७३ कदाचित्तु ससैन्यः स परिचक्राम मेदिनीम् । | .... | ३७७ |
५२ | ||
परिक्रामन् स तु प्राप वसिष्ठाश्रममुत्तमम् ॥ | .... | ३७९ |
७४ तस्यातिथ्यं मुनिश्चक्रे कामधेन्वाः सहायतः । | .... | ३८१ |
५३ | ||
तां कामधेनुं शबलामैच्छत् गाधिसुतस्तदा ॥ | .... | ३८३ |
७५ नाङ्गीचकार तद्याच्चां वसिष्टो जपतां वरः । | .... | ३५५ |
५४ | ||
ततस्तां शबलां धार्ष्ट्यात् विश्वामित्रोऽन्वकर्षत ॥ | .... | ३८७ |
७६ सुरभिः साऽसृजत् सेनां वसिष्ठस्याज्ञया तदा । | .... | ३८९ |
५५ | ||
तया विध्वंसितं सर्वं विश्वामित्रबलं क्षणात् ॥ | .... | ३९१ |
७७ ततस्तप्त्वा शिवाल्लेभे धनुर्वेदं स कौशिकः । | .... | ३९३ |