पुटमेतत् सुपुष्टितम्
१४
सर्गसङ्ख्या | विषयः | पुटसङ्ख्या |
४ | रामाभिषेकनिश्चयः | .... .... ३५ |
५ | अभिषेकपूर्वाङ्गचर्याचरणम् | .... .... ४५ |
६ | पौरोत्साहः | .... .... ५० |
७ | मन्थरोपजापः | .... .... ५५ |
श्लोखसङ्ख्या | अवान्तरविषयाः | ||
४ | |||
९ | राम ! वृद्धोऽस्मि दीर्घायुर्विश्रान्तिमभिरोचये । | .... | ३५ |
अतस्त्वां युवराजानमभिषेक्ष्यामि, पुत्रक ! | .... | ३७ | |
१० | श्वस्त्वाऽहमभिषेक्ष्यामीत्यादिदेश नराधिपः । | .... | ३९ |
१८ | श्रुत्वा च रामः पितरमभिवाद्याभ्ययाद्गृहम् । | .... | ४१ |
११ | राज्ञो नियोगं रामस्तु कौसल्यायै न्यवेदयत् । | .... | ४३ |
५ | |||
वसिष्ठमादिशद्राजा तत्तत्कार्यस्य साधने । | .... | ४५ | |
१२ | वसिष्टोऽपि तदा राममुपवासाद्यकारयत् । | .... | ४७ |
२० | श्रुत्वा बभूवुस्तत्सर्वं पौरा हर्षपरिप्लुताः ॥ | .... | ४९ |
६ | |||
१३ | अलञ्चक्रुरयोध्यां ते नानालङ्कारवस्तुभिः । | .... | ५१ |
रामाभिष्टवसंयुक्ताः कथाश्चक्रुर्मिथो जनाः ॥ | .... | ५३ | |
७ | |||
१४ | दासी काचन कैकेय्याः कुब्जाऽऽसीन्मन्थराभिधा | .... | ५५ |
रामभिषेकवृत्तान्तं श्रुत्वैवोद्वेगमाप सा ॥ | .... | ५७ | |
१५ | भेदयामास कैकेयीमभिषेकनिरोधने । | .... | ५९ |
देवि ! राजा दशरथो रामं राज्येऽभिषेक्ष्यति ॥ | .... | ६१ | |
१६ | संप्राप्तकालं, कैकेयि ! क्षिप्रं कुरु हितं तव । | .... | ६३ |