पुटमेतत् सुपुष्टितम्
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणायोध्याकाण्डस्य
विषयानुक्रमणिका
सर्गसङ्ख्या | विषयः | पुटसङ्ख्या |
१ | रामाभिषेकचिन्तनम् | .... .... १ |
२ | परिषदनुमोदनम् | .... .... १४ |
३ | दशरथेन रामानुशासनम् | .... .... २४ |
श्लोकसङ्ख्या | अवान्तरविषयाः | ||
१ | |||
१ | अथ राज्ञो बभूवैवं वृद्धस्य चिरजीविनः । | .... | ३ |
प्रीतिरेषा कथं रामो राजा स्यान्मयि जीवति ॥ | .... | ५ | |
२ | कदा नाम सुतं द्रक्ष्याम्यभिषिक्तमहं प्रियम् । | .... | ७ |
शक्तः खलु स वै नाथः त्रैलोक्यमपि रक्षितुम् ॥ | .... | ९ | |
३ | इति सञ्चिन्त्य राजासावानयामास पार्थिवान् । | .... | ११ |
समागतांस्तु तान् दृष्ट्वा राजा दशरथोऽब्रवीत् ॥ | .... | १३ | |
२ | |||
४ | रामे राज्यं निवेश्याह विश्रान्तिमभिरोचये । | .... | १५ |
भवन्तो मेऽनुमन्यन्तां इदं, किं करवाण्यहम् ॥ | .... | १७ | |
५ | इति ब्रुवन्तं राजानं प्रत्यनन्दन् मुदा नृपाः । | .... | १९ |
संहृष्टाः प्रशशंसुस्ते दिव्यान् रामगुणान् तदा ॥ | .... | २१ | |
६ | सुसंहृष्टोऽभवद्राजा श्रुत्वा निजसुतस्तवम् । | .... | २३ |
३ | |||
ततो रामाभिषेकायादिदेश नृपसत्तमः ॥ | .... | २५ | |
७ | वसिष्ठः परमप्रीतः सर्वं सज्जं तदाऽकरोत् । | .... | २७ |
सुमन्त्रमब्रवीद्राजा रामोऽत्रानीयतामिति ॥ | .... | २९ | |
८ | आगत्य च ततो रामो ववन्दे चरणौ पितुः । | .... | ३१ |
आदिशद्यौवराज्याय रामं दशरथः प्रियम् ॥ | .... | ३३ |