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(२२२) बालाराशर होरोवरमागे

नर्तको गायको बंदी शिल्पी याच्ापरस्ततः ॥ १०५ ॥ गायको नर्तको भारवाही प्रणतियोजकः ॥ प्रेष्यश्व भार- को बंदी याचको धातुवादकः ॥ १०६ ॥ वेदाध्यायी स्मृ- तिज्ञस्तु शैवाश्रमकतश्रमः॥ शिल्पलेखनकर्ता च मीमां- सान्यायतर्कवित् ॥ १०७ ।। पंचरात्रार्थशास्त्रज्ञ इतिहास- पुराणवित् ॥ आयुधश्रमहेतुभ्य आयुर्वेदकतश्रमः॥१.०८ टीका | योजकः बहून्यो जयतीति तथा स्यात् ॥१०२॥ १०३ ।। १०४ ॥ अथ सू र्यादीनां कालांशवशात्फलमाह नर्तक इत्यादिसार्थाष्टोत्तरशत लोकपर्यंतभू । मर्तकः नटः गायकः बंदी राजस्तावकः शिल्पी स्पादिकर्मकुशलः याचका याच्यापरी याचनातत्परः गायकः नर्तकः भारवाही गणतियोजकः नमः- शीलः प्रेष्यो दूतः मारको भारवाही धातृवादकः वेदाभ्यायी स्मृतिज्ञः शैवा- · श्रमकृत अमः शिवदीक्षायनशीलः शिल्पलेखनकर्ता शिल्पकियो लेखनकि यश्च मीमांसान्यायतर्कवित् मीमांसादिशास्त्रज्ञः पंचरात्रार्थ शास्त्रज्ञः आग- महः इतिहासपुराणवित् भारतादिवेत्ता आयुषश्रमहेतुः आयुषकर्ता आयुर्वेदकृतश्रमः वैद्यः एवं कालांशतः कालांशमानेन अर्काछन्त भाषा । , फळ जानना, कुंभ राशि में यक्ष करे उपकार जाने, मीनराशिमें तलावादिक करे, और बड़े कामोंको तजबीज करे || १०२ ॥ १०३ ॥ १०४ ॥ जब सूर्यादिकों का कालांश ऊपरसे फल कहते हैं. नाचना १ गाना, २, बंदिवान् होना , राजाका स्तवन करना, रसोई और दूसरी कारागिरीके काम में कुशल होना ४, मांगनेवाला याचक ५, गायक ६, नर्तक ७, भारवाही ८, नम्रतासे रहनेवाला , दूतपनाकरना ५०, मार उचलनेवाला ११, मंदी १२, याचक १३, धातु बनानेवाला १४, वेदाध्ययन करनेवाला १५, स्मृतिशाख जानने का 34, शिव दीक्षा प्रण होना, श्रम करना ७, शिल्पकर्म लेखन कर्म करना ५८, मीमांसा भ्याय तर्क जाननेवाला १९, आगतंत्र जामनेवाला २०, भारत पुराव्य जानने २१, करनेवाला २२ करनेवाला २१. यह सू