पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४७२

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Cav महत्याराहरीतरागे- रणविदम् ॥ होसूर्येदवो मानसूर्य गुरुक्षौ लाद्वारा लसूयमेवृसौरयः ॥ क्षते शुक्रस्तथा चैकः कामे सर्वे गुरुं बिना ॥६६॥ मृतौ भृगुबुधवा धर्मे गुरुसितौ बिना ॥ कर्मण्याये तथा शुक्रो व्यये सूर्ये- न्दुवर्जिताः ॥ ६७ ॥ लनस्येदं तु संप्रोक्तं करणं द्विजपुंग- व ॥ अथ स्थानं प्रवक्ष्यामि लग्नस्य द्विजपुंगव ॥ ६८ ॥ टीका | करणप्रदाः षट्, हे द्विजपुंगव हे मैत्रेय ! इदं लमस्य करण बिंपरपर्य प्रोक्त कथितं सूरिमिरिति शेषः । ६५ ।। ६६ ।। ६७ ॥ अथ लामावस्था नमाना अयेत्येकसप्ततिष्ठोकपर्यन्तम् । अथ करणकथनानंतर प संबंधि इति संबंधसामान्यविवक्षायां "पष्टीशेषे” इति षष्टी. स्थानं रेखासंज्ञ प्रवश्यामि कथयामि हे द्विजपुंगव द्विजश्रेष्ट मैत्रेय तत्रेति शेषः। तच्छृष्ि त्यध्याहारमा लममावे आर्किशुक्र मुर्वाराः शनिबुधशुक्रगुरुममा स्थान भाषा/ दसवें, ग्यारहवें, छठे घरमें एक की संख्या है. सातवें घरमे सात सात बिंदु देनेवाले हैं. ऐसी- लनके बारह भावकी बिंदु संख्या कही ॥६४ ॥ ॥ बिंदु देनेवालेके नाम कहते हैं. लम परमे रूम, सूर्य, चंद्र, यड़ तीन बिंदु देते हैं. दूसरे घरमे ४ क, मंगल, चंद्र, सूर्य, शनि, बिंदु देते हैं. सी सरे परमे शुरु, बुध, बिंदु देत हैं. चौथे घरमें, लभ, चंद्र, मंगल बिंदु देते हैं. पांचवे धरमें लभ, सूर्य, चंद्र, मंगळ, पुष, शनि बिंदु देखें हैं. छठे घरमें एक एकड़ी विषु देता है. सातवें घरमे सूर्य, चंद्र, ● 49 मंगल, बुध, शुक्र, शनि यह सात बिंदु देते हैं. आठवें घरमें सूर्य, चंद्र, मंगल, मुख, देते हैं. न परसे सूर्य, चंद्र, मंगल बुध कामि, 1 बयोदाहरणार्थ प्रकोष्टकम्, मा. सूचि IT G [] . ¢ ३