पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४६५

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अकबर्याध्यायः १ कर्कशुकाच वर्मेऽकसर्किविद्गुरुःलेन्दुजीवा: कुजा- र्यो शार्केद्राराकितनूशना: ॥ ४९ ॥ जीवशुक्रबुधा मॉम- बुधशुक्रशनैश्चराः ॥ रवीन्द्वारार्किलझानि रवीन्हार्यज्ञभा- र्गवाः ॥ ५० ॥ अर्कशजीवाः शुक्रेन्द्र ते च तो लग्नभूसुत। सर्वे शून्य क्रमात्प्रोक्तं स्थानं शीतकरस्य च ॥५१ ॥ टीका । नि पंच. जायाभावे रवीन्द्वायज्ञभार्गवाः पंच मृत्युभावे अजीचा जय, धर्मभावे शुक्रेन्द्र हौ, कर्ममावे ते च मृत्युभावोक्ताः तोच धर्म-भावको रु मभूतोष नाम अर्कझजीवशुक्रेन्द्र लग्नभृताः सप्त आयभावे सर्वे अष्टा वपि, व्ययभावे शून्यं रेखामदाभावः । इति शीतकरस्य चंद्रस्य स्थानो भाषा | १. र पहिले घरमे बुध, चन्द्र, गुरु रेखा देनेवाले हैं. दूसरे घरमें मंगल, गुरु रेखा देने- बाले हैं. तीसरे घरमें बुध, सूर्य, चन्द्र, मंगल, शनि, लग्न, शुक्र. सेवा देनेवाले हैं. चक्थे घरमें गुरु, शुक्र, बुध, ररेषा देने वाले हैं. अशोदाहरणार्थ चंद्ररेखाकम्. पांचवें घरमें मंगल, बुध, शुक्र, शनि, रेखा म. सु. चे. म.न.ग्र प्र.श. से. देनेवाले हैं छठ परमे सूर्य, मंगल, शनि, लभ रेवा देनेवाले हैं. सातवें घरमे सूर्य, गुरु, बुध, शुक्र, रेखामद हैं. आठवें सूर्य, बुध, गुरु, रेखा देनेवाले हैं. नवें घर शुक्र, चंद्र, दो, दसवें घरमें सूर्य, शुक्र, चन्द्र, लम, मंगल, रेखा ग्यारहवें घरमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र, शनि, लन, रेखा देनेवाले हैं. बाहरवे परमे २ दि. चंद्र, ३१ । घरम... ८ भ बुध, गुरु. ७ | स देनेवाले हैं। 17 ११. ए कोई नहीं है. ऐसी संभावकी सेवा कही स्पष्ट क लिखा है। १९४५४५