पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४६६

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( २६ ) बृहत्पाराशरहोरोत्तस्मागे- लामंदकुजा भोभो होराशेन्दुदिनाधिपाः भन्दाज्ञरकी- झेन्दुजीवार्कतनुभागवाः ॥ ५२ ।। मंदारी तो सिता कुजार्कार्यार्किलमकाः ॥ सर्वे गुरुसितो स्थानं भौमस्यैवं विदुर्बुधाः || ५३ || लग्नमंदारशुक्रज्ञा लमारेन्दुसितार्क- टीका | . तम् स्थानान्युक्तानीति तदर्थः ॥ ४९ ॥ ५० ॥ ५१ ॥ अथ कुजभावरेखा- प्रदानाह लग्नेत्यादित्रिपंचाशत् पर्यंतम् । तनुभावे लग्नमंदकुजाः त्रयः रेखा- प्रदाः, धनभावे भौम एक एक, सहजभावे होराझेन्दुदिनाधिपात्वारः सु- स्वभावे मंदारों द्वो सुतभावे ज्ञरवी द्वौ, रिनुभावे ज्ञेन्दुजीवा केतनुभार्गवा पह, जायाभावे मंदारों द्वौ, मृत्युभावे तो पूर्वोको सितश्च मंदारशुक्रालय, धर्मभावे अर्कि: शनि कर्मभावे कुजार्कार्यार्किलमका: पंच, आयभावे स पिव्ययभावे गुरुसितो छौ. एवं भौमस्य स्थानं बुधाः विदुरित्यन्वयः ॥ ५२ ।। ५३ ॥ अथ बुधभावरेखामदानाह लग्लेत्यादिसाईडयेन | तनुभावे भाषा । .भा. . . . . . .ल.सि. |Z! ३ [डि.. अब मंगलके वारह भाव रेखा देनेवालके नाम कहते हैं. पहिले घरमें लग्न, शनि, मंगल रेखा देते हैं. दूसर घरमे मंगल, तीसरे! अब उदाहरणार्थं मंगा घरमें लम, बुध, चंद्र, सूर्य, चबधे घर में शनि, मंगल, दो रेखा देते हैं, पांचवें घरमं बुध, सूर्य, खले घरमें बुध, चंद्र, गुरु, सूर्य, लम. शुक्र रेखा देते हैं, सातवें घर में दानि, मंगल, आउंब घरमे शनि, मंगल, शुक रखा देते हैं. नवम ६ घरमें शनि एकही है. दसबै वरमें मंगल मूर्य, गुरु, शनि, लग्न, देते हैं. ग्यारहवें धरमे सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, लभ, और बारहवें धर्म गुरु, शुक्र, रेखा देते हैं. १२. ऐसी यह मंगलके बारह 199 15. रेखा कही. ऊपर सष्ट लिखा है ।। ५२१॥४३॥ 118 189 ITTE