पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४६०

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DIVAN PAV MY POR (२०) बृहत्पाराशरहोरोत्तरभागे- गुरोरिदम् ॥ सुतायुविक्रमेष्वक्षित नुस्वव्यय खेण्विषुः॥३८॥ अष्ट स्त्रियामरो षड्भूर्धमें मित्रनिखं भवे ॥ लग्ने स्वेऽ- कोरविज्जीव मंदाः सर्वे च कामभे ॥ ३९ ॥ अर्काय विक्र- मस्थाने सुतेऽकरौं शुभे रविः ॥ सुखर्कबुधजीवाः स्युर्भीम- झो मृतिभे द्विज ॥४०॥ शुक्रकेन्डार्किलमार्याः शत्र शून्यं टीका | मावे वं शून्यं करणाभावः ॥ ३८॥ एवं संख्यामुक्त्वा नामान्याह लग्न- इत्यादिसार्थद्वयेन लग्ने १ स्वये अरिविजीवमंदा: रविभौम- बुबगुरुशनयः करणदाः पंच कामभे ७ भावे सर्वेटपि, विक्रमस्थाने भावे अर्कार्यों रविगुरू द्वौ. सुते: भावे अर्कारी रविभौम डौ. शुभ ९ भावे रविरेक एव सुखे ४ भावे अर्कजीवाः स्पष्टं मृति भावे भौमी हो, शत्र ६ मावे शुक्रान्डाकिन: शुक्ररविचंद्रशनिलग्नगुरवः पद भवे ११ भावे शून्यं करणप्रदाभावः, व्यये १२ भावे होशकार्या: लग्नशनिबुध- शुक्रगुरवः पंच से १० भावे तन्वारवेंडिनाः लग्नभौधचंद्रय पंच कर भाषा । बालेकी संख्या है. सातवें घरमं आठ बिंदु हैं छठे घरमें छः बिंदु हैं. नवं घरमें एक बिंदु है. चच घरमें तीन ऋग्ण है. ग्यारहवें घर में करणसंख्या नहीं है ॥३८॥ करण देनेवाले ग्रहों के नाम कहते हैं. पहिले दूसरे घरमें सूर्य मंगल, गुरु, बुध, गुरु, शनि, यह पांच करण देनेवाले जानना. सातवें घरमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, लग्न यह आठ करण देनेवाले हैं. तीसरे परमें सूर्य, गुरू, यह दो करण देनेवाले हैं. पांचवें घरमै सूर्य, मंगल, दो हैं. नवे घरमें सूर्य, बुध, गुरु, यह तीन है. आठवें बरमें मंगल, बुध, दो हैं. छटे घरमै शऋ, सूर्य, चंद्र, शनि, ह, गुरु, यह छः है, ग्यारहवें घरमें करण देनेवाला नहीं है. बारहवें पर लम, 7