पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४५९

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अर्गाध्यायः १ शुक्रमंदेन्दवो धूने बुधशुक्रशनैश्चराः ॥ ३६॥ जीवाम न्दवः शत्रौ मंद सर्वे विना व्यये / कर्मणीन्दुनी धमें मंदारगुरखो मृतौं ॥ ३७ ॥ टमार्किसितचंद्रज्ञाः कम्णं टीका । निशकचन्द्रबुधा पंचः, एवं इदमुक्तप्रकारकं गुरोः करणं ज्ञेयमिति शेष ।। ३५ ।। ३६ ।। ३७ ॥ अथ शुक्रभाव करणपदसंख्यामाह सुनायुरिन्यक इयेन । सुतायुर्विक्रमेषु ५१८१३ भावेषु अक्षीति लुप्तविभक्तिक पदं अक्षिणी- त्यर्थः। करणमदसंख्या अक्षिशब्देन छो. तनुस्वव्ययखेड ११२११२११० मावठ इपुः करणप्रदाः पंचः स्त्रियां ७ मौ. अ६ भावे पर धर्म ९ आव रेक, मित्रे ४ मावे अमीत्यपि, लुप्तविभक्तिकं अग्नय स्खयइत्यर्थः भवे ११ " , भाषा । देनेवाले जानना. पांचवें घरमें सूर्य, गुरु, मंगल, यह तीन करण देनेवाले जान- ना. चौथे वरमं शुक्र, शनि, चंद्र. यह तीन जथ उदाहरणार्थ गुरुकरणकोष्टकम् हैं. छठे घरमें गुरु, मंगल, चंद्र शुक्र, यह

भा! स. च... चार हैं. चारहवें धरमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध ४. दशवें घरमै चंद्र, गुरु, शुक्र, लम्र, यह सात करण देनेवाले हैं. इन शनि यह दो हैं. नवम घ- गुरु, यह तीन हैं. आठवें | शुक्र, चंद्र, बुष, यह पांच रमे शनि, मंगल घरमें लग्ने, शनि, करण देनेवाले हैं. ऐसी गुरुभावकी करणसं- ख्या और नाम कहें. उसका स्पष्ट चक्र ऊपर 15. ए.. दिखाया है ॥ ३९ ॥ ३६ ।। ३७ ॥ अब शु १३ H 7. फके भावर्मे करण (हिंदु ) देनेवालेकी संख्या कहते हैं. कसे पांचवें तीसरे घर दो बिंदु देनेवालेकी संख्या है. पहिले, दूसरे, चारहवें दसवें, घरमे पांच बिंदू देने