पृष्ठम्:श्रीमद्बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् (सुबोधिनीटीकासहितम्).pdf/४५५

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अष्टकवर्गाध्यायः १ मैयोः ॥२६॥ होरामृळ्योः द्वारा वेदा विकमे खेत्रयः शते । हौ भवे शून्यमेवं स्यात्करणं भूमिजस्य तु ॥ २७ ॥ कुज- स्यार्केविजीवसिता लग्नशनी च ते ॥ सिता गुरुमंदा: स्थुमक्तेषु कुर्ज विना ॥ २८ ॥ चंद्रारगुरुगुकालिमानि कुजभास्करी ॥ ज्ञहर्कसितलमार्या एषु शुक्रं विना ततः ॥ २९ ॥ विना शर्नि सप्तधमं सितेन्दुज्ञा वियत्ततः ॥ अ- टीका ! ॥ २७ ॥ एवं भौमभावकरणपदसंख्यामुक्त्वा तन्नामान्याह कुजस्येत्या दिश्लोकत्रयेण । तनुभावे अकेन्द्रविज्जीवसिताः रविचंद्रबुधगुरुका पंच धनभावे लग्नशनी स्पष्ट ते तनुभावोक्ताश्व अर्केडविज्जीवसित लमशनचः सम सहजभावे सितारगुरुमंदाः शुक्रमोमगुरुशनयश्चत्वारश्रमावे धर्मत्तिषु न इमस्थानवक्ष्यमाणेषु कुजं विना स्युः । रविचंद्रबुधगुस्शकलमानीत्यर्थः पद् भाषा | - भा. ए. चं म..... १ | ल भ. संख्या कही||२६||२ ७||अब बिंदु देनेदालंक नाम कहते हैं: मंगलले पहिले घरमें सू. चं. षु. शु. शु. यह पांच बिंदु देनेवाले हैं. दूसरे घरमें लभ, शनि, सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र, यह सात बिंदु देनेवारूं है। अयोदाहरणार्थ मंगलकरणकोटकम. तीसरे घरमें शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, यह चार. चौथे घरमें सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र, यह छः हैं. पांचवें घर में चंद्र, मंगल, गुरु, शुक्र, शनि, लम यह छः हैं. छठे घरमै मंगल, शनि, यह दो हैं. सातवें घरमै बुध, चंद्र सूर्य.. शुक्र, गुरु, लम, यह छः हैं. आठवे घरमें बुध चंद्र, सूर्य, गुरु, लम, यह पांच हैं. न रमै सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, लभ, '१० ड यह सात है. दशयें घरमें शुक्र, चंद्र, बुध 14 "| [१५] ए.. यह तीन हैं. ग्यारह घरमै कोई नहीं हैं. चारह घरमै सूर्य, शनि, पुष चंद्र, म दि.