पुटमेतत् सुपुष्टितम्
३४
शोधनसूची
पुट | पङ्क्ति | भ्रंश | शुद्धम् |
74 | १ | दवताचन | दवतार्चन |
" | १३ | उक्त ज | उक्त च |
७६ | ५ | योगमन्त्र | योगमन्ते |
" | १७ | स्वाध्याय | स्वाध्याया |
७९ | १ | मनुरुन्धन् | मुपरुन्धन् (पाठभेद) |
८१ | १३ | बाह्य | ब्राह्म |
८२ | १० | मुहर्त | मुहूर्त |
८३ | १४ | विधीगते | विधीयते |
८७ | २४ | शयतस्य | शयनस्य |
८८ | १२ | गजेन्द्रमोक्षकश्चप | गजेन्द्रमोक्षक च (पाठभेद)[१] |
" | १४ | व्याघूर्णन् माल्य | व्याघूर्णन्माल्य |
" | १६ | सहतेर्न" ॥ | सहतेर्न' ॥ इति । |
९१ | ७ | द्रव्वाणि | द्रव्याणि |
१०३ | १ | द्वाद्वश | द्वादश |
१०७ | १० | शोवैष्णव । | श्रीवैष्णव |
११८ | ५ | कृत्वा योग्यता | कृत्वायोग्यता |
१२४ | ४ | अथवा मुनि इत्यस्यानन्तर | 'स्ववर्णस्वाश्रमार्हेण विधिना श्रद्धयान्वित' इत्येकमर्ध क्वचित् अधिक दृश्यते । |
१२५ | १४ | समाराधन | समिदाधान (पाठभेदः) |
१३९ | २ | एवात्रा | एवात्र |
१४४ | २ | देवी | देवि |
१४६ | ५ | अष्टा | अष्ट |
१४७ | ३ | वैभवेऽपि | वैभवीये (पाठभेद) |
" | ९ | समाना- | समाना |
१५८ | ४ | तमेवेन | तमेवैक |
- ↑ एतच्चिह्नयुक्ता केचन पाठाः ग्रन्थस्यास्य मुद्रणानन्तर मन्त्रस्सालघट्ट श्रीवेङ्कटाचार्यस्वामिना सविधे विद्यमानात् कोशादुपलब्धा ।