पुटमेतत् सुपुष्टितम्
३५
शोधनसूची
पुट | पङ्क्ति | भ्रंश | शुद्धम् |
१६७ | ७ | काल इति | काल इति । |
१६८ | १७ | 'तस्मात् सर्वेषु कालेषु', 'मामनुस्मर' | 'तस्मात् सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर' |
१७१ | ९ | ब्रह्मविद्यापि | ब्रह्मविदपि इति पाठः साधीयान् । |
१७४ | १० | पादावने जनात् | पादावनेजनात् |
१८४ | १६ | सग्रहसर्ता | सग्रहकर्ता |
१८८ | १४ | तैत्तरीय | तैत्तिरीय |
" | १५ | (एतत्पङ्क्त्या पूर्व तै स-- | तैत्तिरीयसंहिता इति योजनीयम् ।) |
२०२ | १५ | चतुर्विंशापराध तु | चतुर्विंशापराध त |
भूमिकायाम्
१ | ८ | नातिचिदेव | नातिचिरादेव |
२ | ५ | व्यक्तिभि | व्यक्तिविशेषे |
३ | २४ | निदिष्टम् | निर्दिष्टम् । |
१५ | ११ | निगमान्तगुरुरो | निगमान्तगुरो |
१६ | २ | ने | ते |
२४ | ७ | तच्च | तस्य |