पुटमेतत् सुपुष्टितम्
। शोधनसूची ।
[ग्रन्थमुद्रणानन्तरम् उपलब्धाः मुद्रणदोषाः केचन पाठभेदाश्चात्र तेषां शोधितपाठैः सह निर्दिश्यन्ते । ग्रन्थस्यास्य पठनसमये विषया एते पाठकमहाशयैः प्रथमतः शोधनीयाः इति विज्ञाप्यते ।]
पुट | पङ्क्ति | भ्रंश | शुद्धम् |
२ | ७ | अनुपपत्ति | अनुक्ति इति साधीयान् पाठ । |
४ | ८ | परस्परशाखा | परशाखा इति साधीयान् । |
११ | २० | --"सर्वतन्त्र | सर्वतन्त्र |
१३ | ५ | नाधिकार | नाधिकारः |
" | ९ | तन्त्राघिका | तन्त्राधिका |
१६ | ४ | समाराधनमुच्यते | समाराधनमच्युत इति साधीयान् पाठ । |
१७ | ९ | कर्म बिम्बाना | कर्मबिम्बाना |
२३ | ११ | तथा वैखानसे न तु | त्यक्त्वा वैखानसेन तु इति साधीयान् पाठ । |
२८ | २२ | पवेशो | प्रवेशो |
३६ | ७ | च्छास्र | च्छास्त्र |
४८ | ४ | कर्म काल | कर्मकाल |
५६ | १० | पूर्वी समर्पणीय | पूर्वीसमर्पणीय |
" | १३ | भाष्याकार | भाष्यकार |
६५ | १५ | भ्यर्चत | भ्यर्चन |
६९ | १५ | इति । | इति |
७१ | १३ | चेहा जायते । | चेहाजायते |