पृष्ठम्:श्रीपाञ्चरात्ररक्षा.djvu/२८३

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218 प्रमाणवचनादीना वर्णानुक्रमणिका भगवत्कैङ्कयैकरति ५६ नि रा भुक्ता सविश्य शयने १६५ पा स (च) भगवत्परिचर्याया १६० वै ग 13-75 भगवद्धयानयोगोक्ति ८० गी सं 30 मुखकैव सुखमास्थाय ६७ व्या स्म2 भगवद्यागनिष्पत्ति ४८ ज स 22-70 (अन्तिमश्लोक ) भगवन्त नारायण १६० वं ग भुक्तोपस्थाय चादित्य ६७, १४७ भगवस्तदशेषेण ४६ पा स (च) 1-2 भुङ्क्ते स याति नरकान् ६६ यो या भगवान् पवित्र ११७ अ श्रु भुञ्जश्चिन्तय केशव ८८ वि ध 1-60 भरण तु तथा कृत्वा १२० व पु 45 भवत शरण गत्वा १५७ व 494 भू भवत्येवैतदखिल १७७, व 507 भूमा सन्धाय मनसा ११५ सं स भवद्विधा भागवता १०४ भे भवन्ति त्रीणि जन्मानि १२१ व पु 45 भेद दिव्यादिकं सम्यक् ४१ पार सं भवन्ति भक्तिपूतानि १२९ मा म 10-375 21-33 भेरीमताडयित्वा तु १४६ व पु भविष्यति वरारोहे १२० व पु 45 भवेतू सन्निधिमाहात्म्य ३७ पार स भो 10-321 भोक्तार यज्ञतपसा ६८ भ गी 5-29

       भा                  भोगमात्रसाम्यलिङ्गाच्च ८६ शा मी
                                             4-4-21

भागेष्वेतेषु यत्कृत्य ६९ द स्मृ 2-6 भावपूत तदव्यग्र ६३ व्या स्मृष्ट 2-16 भोगाना च विपर्यास १८ पार स(प्र) भावयेद्भगवद्विष्णु १२६ ज स भोजन यस्तु भुञ्जीत १४३ व पु 16-322 भोज्यान्नपानाहारेषु १४३ व पु

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                                       म

भिक्षामलब्ध्वा तत्रापि १२१ व पु 45 मज्जनानवजानन् यो १४५ व पु । मित्रैराभरणैरत्रै ६ पौ स 38-299 मदीयार्चनकाले तु १४४ व पु

       भु                  मद्भक्ता ये नरश्रेष्ठ १०७ म भा (आश्व)
                                          98-67 2

भुक्ता तु सुखमास्थाय ७३ द स्म 2-56 मद्याजिनो मन्नियमा १०७ म भा भुक्ता श्राद्ध महाभागे १२० व पु 45 (आश्च) 98-67