प्रमाणवचनादीना वर्णानुक्रमणिका २१७ बहुत्वादिह शास्राणा १७२ इ स 33-10 ब्रह्माण शितिकण्ठं च ६४,140मभा बहुयाजिनोऽगारातू ३ (शा)350-36
बा ब्रह्मादिस्थावरान्त च १५७ व 496 ब्रह्मा स्मृत्वायुषो वेदं ८२ आ
बाह्यार्थादखिलाचेत १५३ व 455 ब्राह्मणक्षत्रियविशा १०२ पा म (च) बाह्योपचारैस्तद्विद्धि ४९ ज स 22-77 13-19
बि ब्राह्मणाना कृत्यजात ६८ व्या स्मृ 2 ब्राह्मणै क्षत्रियैवैश्यै २० म भा (भीrम) 66-39
बिडालपदमात्र तु ९९ पार म 2-46 ब्राह्मान्मुहूर्तादारभ्य ४७, १२५ ज स
बु 22-68 ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठन् ८२ आ
बुद्धरुद्रादिवमति ६२ शा स्मृ 4-191 ब्राह्मे मुहूर्त उत्थाय ६० व्या स्म 3-2 बुदुदाद्यैर्विनिर्मुक्त १०१ पार स 2-56 ब्राह्मो मुहूर्ते बुद्धयेत ५० पा म (च )
13-5 बो ब्राह्मे मुहूर्ते सत्त्वस्थ ५४, ८९ ना मु
बोधयन्तपरस्पर148 भ गी 10-9
ब्राह्मे मुहूर्ते सप्राप्ते ८८, १२५ सा सं 6-216 बौ ब्राह्मे मुहूर्ते सप्राप्ते निद्रा ८९ व 2
बौद्धे वाग्यार्हते चैव २६ का त (कामि भ 1-123) भक्ताना श्रोत्रियाणा च १00 पार स
2-49
ब्रह्मचारी गृहस्थो वा ६५ म भा (आनु) भक्तानुकम्पया विद्वान् २ 186-17 भक्तियोगाख्यं रत्न्न १६२ वै ग ब्रह्मचारी गृहस्थो वा १२४ व 83 भक्तिश्रद्धासमायुक्ता ७२ ना मु ब्रह्मरुद्रमुखैर्देवै ३९ पार. स 10-335 भक्त्येकलभ्ये पुरुषे१७४ ब्रह्मलोकमवाप्तोति ७१ भक्षयेद्दन्तकाष्ठ च १०१ पार स 2-60 ब्रह्म सपद्यते तदा ८५ सा स 6-216 भगवच्चरणाम्भोज ५४, ९ २ ना मु ब्रह्माणमिन्द्र रुद्रं च ८९ भगवत १६० वै, ग,