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पृष्ठम्:श्रीपाञ्चरात्ररक्षा.djvu/२८४

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प्रमाणवचनादीना वर्णानुक्रमणिका २१९ मध्वाज्याक्तेन दध्ना वै ४९ ज स22-77 मनीषिणो हि ये केचित् ७५ द स्मृ मनोबुद्धयभिमानेन ११४, १२५, १४९ सा स 6-187 मनो ब्रह्मत्युपासीत ८६ छा 3-18-1 मन्त्रज्ञानप्रदातृभ्य १५३ व 459 मन्त्रनाथ प्रणम्येश १५२ ना मु मन्त्रन्यास तत कृत्वा ५३ भ नि मन्त्रमण्डलकुण्डादि १५ पा स (च) 21-76 मन्त्रवत्प्रेक्षण चापि १०४ पि स्मृ मन्त्रशक्ति स्थिता यस्मिन् १५३ व 462 मन्त्रसज्ञ हेि सिद्धान्त ८ ह स मन्त्रसिद्धान्तमुख्येषु १६ पा स (च) 21-80 मन्त्रसिद्धान्तसज्ञ च ६ पौ स 38-297 मन्त्रसिद्धान्तसंज्ञ यत् ३२ का मन्त्रस्य देवता चापि १५४ व 464 मन्त्रान्तर न कुर्वीत १७ पार स (प्र) मन्त्रेण भगवदूप ६ पौ स 38-298 मन्त्रैराधारशक्यादि ५३ भ नि मन्दिर न प्रवेष्टव्य १२०. व पु 45 मन्यसे यदि तच्छक्य १६५ भ गी 11-4 ममैव वसुधे तस्य १२१ व पु 45 ममैवार्चनकाले तु १४४ व पु महति दिव्योगपर्यङ्के १६० वै ग महतो वेदवृक्षस्य ३ पा स (ई 1-24) महत्त्वाच्च गुरुत्वाञ्च २६ म भा (आदि) 1-299 महत्त्वे च गुरुत्वे च २६ म भा (आदि) 1-299 महर्षे कीर्तनात्तस्य ११६ म भा (आदि) 114-40 महापराध तद्विद्यात् १४६ व पु महाविभूते श्रीमत १५९, १६० वै ग महिमा तु सविज्ञान ८४, ८६ सा स 6-207 महीसुरोर्वीपतिवेश्यकास्ते ४२ (शिल्पशाखे विमानलक्षणे ) महोत्सवश्च कर्तव्य २७ पा म 19-130 महोत्सवेषु सर्वेषु २० का मह्यं जिज्ञासमानाय ५० पा स (च) 13-2


ममतासन्निरस्ताना १४७ सा स 2-11 मम नाथ मम गुरु १५७ व 493 मम साधर्म्यमागता ८६ भ गी 14-2 ममार्चनविधौ काले १४४ व पु ममैव तु महागेहे १२१ व पु 45 मा माक्षिकी योनिमाश्रित्य ११९ व पु 45 माङ्गल्यसूत्रवस्त्रादान् ७८ पा र मात्रावित्त न गृह्णीयात् १३४ सा स 21-19 (लुब्धाद्वित्त पाठ) माधवाय नमश्चैव ९५ पार स 2-8 मानसी होमपूजा च १६३ क्रिया वै मानुषे भवने दैव ३४ का