पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/४८७

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४६६ ५७ ६१ हर्तारः पररत्नानां परदारप्रधर्षकाः। कामात्मनो हुँरात्मानो ह्यधर्मात्साहसप्रियः प्रनष्टचेतना पुंसो मुक्तकेशास्तु चूलिकाः। ऊनषोडशवर्षाश्च (*प्रजायन्ते युगक्षये ५८ शुक्लदन्ता जिताक्षाश्च मुण्डाः कषायवाससः । शूद्रां धर्मं चरिष्यन्ति नृगान्ते पर्युपस्थिते ॥५€ सस्यचौरा भविष्यन्ति तथा चैलाभिमर्शनः । चौरएचौरस्य हर्तारो हर्तुहर्तार एव चं ६० ज्ञानकर्मण्णुपरते लोके निष्क्रियतां गते । कीटमूषिकसर्पश्च) धर्षयिष्यन्ति मानवान् सुभिभं क्षेममरोग्यं समयं दुर्लभं भवेत् । कौशिकः प्रतिवत्स्यन्ति देशान्क्षुद्भयपीडितान् ।।६२ दुःखेनाभिप्लुतानां च परमायुः शतं भवेत् । दृश्यन्ते न च दृश्यन्ते वेदः कलियुगेऽखिलाः ६३ उसीदन्ति तथा यज्ञाः केबलो धर्मपीडिताः। काषायिणश्च निर्जन्थास्तथ कापलिमर्शीच ह ॥६४ वेदविक्रयिणश्चाभ्ये तीर्थविक्रयिणोऽपरे । वर्णाभूमणां ये चान्ये पाषण्डाः परिपन्थिनः ६५ उत्पद्यन्ते तथां ते वै संप्राप्ते तु कलौ युगे । नाधीयन्ते तदा वेदः शूद्रां धर्मार्थकोविदः ६६


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- को सर्वथा अन्त हो जायगा। वे सृष्ट नृपतिगण दूसरे लोगों के रत्नों के छननेवाले तथा दूसरों की स्त्रियो के साथ बलात्कार करने वाले होंगे । अयंमें में संहस दिखानेवाले वे दुरात्मा नृपति अति कॉमुक तथा विद्या वृद्धि से सर्वथा शून्य होगे । उस युगान्त के समय के पुरुष अपने केशों को विखराये हुए चूल धारण करनेवाले होंगे, सोलह वर्ष से भी अल्प अवस्था में वे मन्तानोत्पति करेंगे ॥५५-५८। युगान्त के अने पर श्वेत दातोः वाले, अपने को जितेन्द्रिय प्रकट करनेवाले शूद्र लोग, मुण्डित शिर हो कषाय वस्त्र धारण कर धर्मकार्यं करेगे । उस समय अन्न की चोरी करनेवाले तथा वस्त्र की चोरी करने वाले चोर होगे, चोरों के घर में भी चोरी करने वाले तथा डाकुओ को भी लूटनेवाले लोग उत्पन्न होगे । इस प्रकार बुद्धि एवं सत्कर्म के सर्वथा निवृत्त हो जांनी पर सभी लोग अकर्मण्य हो जायेंगे. उस समय कीट पतंग, मूस और सपदि जीव भी मनुष्यो को पीड़ित करेंगे 1५६६१ सुभिक्ष, कद्याण, आरोग्य एवं समथ्यै, ये सभी चीजें लोगों को दुर्लभ हो जायेंगी, ऐसे समय में जब कि सारा देश क्षुधा के कारण सन्तप्त एवं भयभीत रहेगा, उलू के समूह वह निवास करेगे । इनं दुखों से पीडित कॅलियुग के मनुष्यों की अधिक से अधिक आयु सौ वर्षों की होगी, सभी वेद शास्त्र केही पर तो दिखाई पड़ेगे, केही पर नही । धर्म कार्य के सर्वथा विलोप हो जाने के कारण पुंज्ञ की परम्परा नष्ट हो जायगी । उंम समय गेरुआ वस्त्र धारणकर, बिना पढेलिखे. कापालिक, धर्म की व्यवस्था देगेवेदो का विक्रय कोई तीर्थों का ।६२-६५। इसी प्रकार अन्यान्य वर्णाश्रम विरोधी , कोई करेगा तो धर्म के पाषण्डी उस कलियुग के थाने पर उत्पन्न होगे, उस समय ब्राह्मण लोग वेदशास्त्रों का बँध्यौन छोड़ देगे । धनुश्चिन्नान्तर्गतग्रन्यो घ पुस्तके नास्ति ।