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4 ( ६७ ) उभ्याय: ६. ] भाष्यसहिता | मापार्थ- भय वातसज्ञक रुद्र जो रुद्रलोकमें निवास करते है, ॲडतप्रतिपादन के निमित्त उनका वर्णन करते हैं-समारूप स्ट्रके निमित्त नमस्कार है, समाभादिमें रुद्रदृष्टि करनी चाहि- ये । और सभापतिरूप आपके निमित्त नमस्कार हैं, प्रत्येक अवोंके अन्तर में स्थित आपके निमित्त नमस्कार है, और अधोंके अधिपति आपके निमित्त नमस्कार है, देवसेनाओं में स्थित आपके निमित्त नमस्कार है, और विशेषकर वेधनेवाली देवसेनाओंमें स्थित आपके निमित्त नमस्कार है, उत्कृष्ट मृत्यसमूहवाली ब्राह्मीआदि माता का सेना में स्थित रुद्रके निमित्त नमस्कार है, और युद्धमें प्रहार करनेवाले दुर्गादिमें स्थित आपके निमित्त नमस्कार है॥२॥ मन्त्रः । नमोगुणब्यौगुणप॑तिव्यश्चवोनमोनमो खाते॑व्यो व्वातंपतिव्भ्यश्चवानमो नमोग- सैन्थ्यो गुत्पतिव्यश्च बोनमोनमोति- रूपयोधरूपेश्चनमोनमुले- नान्यत् ॥ २५ ॥ ॐ नमो गणेभ्य इत्यस्य कृत्स ऋषिः । भुरिकछकरी छन्दः । रुदो देवता | वि० पू० ॥ २५ ॥ भाष्यम् - ( गणेम्बः) गणः समुहः वत्स्वरूपेभ्यः (नमः) नमः, (गणपतिपश्च ) गणपालकास्तेभ्यश्च ( वो नमः ) नमस्कारः, (त्रातेभ्यः ) नानाजातीयाना संघास्तेभ्यः ( नमः ) नमः ( च ) (पतिभ्यः पालास्तेभ्यः (वः ) ( नमः ) नमः गृत्सपतयस्तत्वालका- (गृत्स्थ:) गृत्सा मेधाविनस्तेभ्यः ( नमः ) नमः ( च ) र तेभ्यः (वः) युष्माकम् ( नमः ) नमः ( विरूपेभ्यः ) नगमुण्डजटिकादमस्तेभ्यः ( नमः ) नमः ( विश्वरूपेभ्यः ) नानाविधं रूपं येषांते विश्वरूपास्तुरङ्गवदनहयग्रीवा ॐ दयस्तेभ्यः ( वः ) ( नमः ) नमः ॥ २५ ॥ माप.र्थ-देवानुचर भूतविशेषोंके निमित्त नमस्कार है, गणों के अधिपति आपके निमित्त नमस्कार है, विशेष गण अथवा अनेकजातियों के समूह के निमित्त नमस्कार है, व्रातगणोंके अधिपति आपके निमित्त नमस्कार है, बुद्धिमानके अथवा विषयळपटके निमित्त नमस्कार और बुद्धिमानोंके रक्षक आपके निमित्त नमस्कार है, नग्न-मुण्ड-जटिलादि - विकृतरूपके निमित्त वा विविधरूपवालोंके निमित्त नमस्कार है, सर्वरूप नानाविधरूप वा तुरगवदन इयग्रीवादिरूप आपके निमित्त नमस्कार है ॥ २५ ॥ S