पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/६४१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

बझसिद्धिव्याख्या Page 1B 4 Katha. 2-8-14. 110 Ap. S. S6. 19-26-8. 27B Vibh. Viv. 85 Chand. 1-1-10. यदाभसं प्रमेयम् ... यदा सर्वे प्रमुच्यन्ते यदि प्रस्ताता यदूर्वतादिसामान्य . यदेव विद्यया यद्वलेनैव यत्सिद्धिः ... यदूतम् यद्यद्विभूतिमत् ... यस्य पर्णामयी। यस्यैते चत्वारिंशत् .....

  • %

115 154 PurShk. 2. 257 Gitk. 10-41. 82 Tait. Sad. 8-6-7-2. 11 GautDhar. 8-22. 71 यूप पशु बक्षत 245 Brh. 1-4-10. याऽन्या देवतामुपास्तं 85 do. 3-8-10. A = 257 Chand. 8-19-8. या वा एतदक्षरम् .. रममाणः स्त्रीभिः .. लोके यथा मधुकृतः । 249 do. 6.0-1. वर्णात्कारः 47 Vy६, VE1. B-8-108. 160 616. Val. Page 478. वस्त्वसंकरसिद्धिश्च ... वाचं धेनुमुपासीत .. ... 8, 287, 291 , Brh. 5-8-1, 252 2A8 Chénd. 6-1-4, वाचारम्भणम् ..- ... विजरो विमृत्युः 12, 268 Chand. 8-1-5, 5, 18 Brh. B9-28-7. विज्ञानमानन्दम् विज्ञाय प्रज्ञां कुर्वीत 2B6, 298 do 4-4-21. 249 Panini. 7-1-86. बदः शतुर्वसुः विदो लटों वा 249 do. 8-488. 245 fa. 11. 4 Gtk. 8-37. विद्ययामृतम् वट्टनमिह वरणम् विधिरयन्तममानौ 77 Tant. Var. 1-2-42,