सामग्री पर जाएँ

पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/६४०

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

अनुक्रमणिका Page. प्रामाण्यस्थापन तु ... 280 36Var Page 96. 85 sab. Bhas. 4-4-1s. फलवत्संनिधावफलं ... फलाय विहित कमें ••• • 283 Tant४. 2 1-5. 71 C. A. Sr. St. 8-29. बृहस्पातसवनेषु बह्मण सह ते सर्वे ... ब्रह्म वेद बर्ताव वनैव भवति 72 Kurma. 1-12-26. • 87, 98, 99 Mund. 8-2 9. 249 do, do. •• 248, 250 Brh. 4-4-6. 259 Mund. 2-2.8. व्रतैव सन् . . भिद्यते हृदयग्रन्थिः भूतगुणश्रुतेः भोगेन त्वितरे क्षपयिना 215 264 Brahm. So. 4-1-19, 294 Chénd. B-14-2. 215 मनेमयः प्राणशरीरः ... .. महदल्पं चलाचलम् । मायां तु प्रकृतिं विद्यात् ... मुनीनाम् मृत्तिकेत्येव सत्यम् 22 $v€ta. 4-10. 257 Gita. 10-BT. 255 Chand. 6-1-4 88 8a. 11 मृत् तीव्र मुछोहविष्फुलिङ्गाचे 254 Mand. Kar• 8-15. -2-27. 85 Brh. १-8-0. य एतदक्षरं गार्गि विदित्वा ००G Mim St. 2-314; यजतिस्तु द्रव्यदेवतक्रियम् । 198 यज्ञेन दानेन ... ५4, 102 B¢h 4-4-22. यते वा इमानि • 58,268,297 Tait 8-1. 298 245 Brh. 2-1-20. यथानर्बलतः 52 Chand, 2-28-1. यथा शङ्कना 249 do. 6-101, यथा सम्य नद्या 258 . 8-18- do7. यदतः पर 155 Pur. Sok. यदन्नेनातिरोहति.