पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/६४२

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अनुक्रमणिका Page 86 Brahm. 8. 3-4-11. 294 Bg6 4-4-20. 100 विभागः शतवत् विरजः पर आकाशात् विरोधिभावन्तरोत्पादः विरोधे त्वनपेक्षे स्यात् विश्वा भुवनानि जज्ञ । 100 Mim. Si 1-2-3. !9 C. Mahnarayapa. 2-3. 254, 294 Tait Sai. 2-6-6. 119 do. 5-4-4 वष्णुरूपशु यष्टव्यः वेतसशाखयावाभिश्च . वेदः कृत्स्नोऽधिगन्तव्यः e वृहभयजन 187 Manu. 2-155. 76 ApS. SO 6-81-24, 286 db 1-7-10. वह्निवहन्त 86 do 1-19-1. श्रीहीन्प्रोक्षति 29 Y6gashtra. 1-11 शब्दज्ञानानुपानी । शशक: २र्यकः 7 76 cf Ramayana 4-:. 7 155 Paniui. '.1-70. शरछन्दास बहुलम् 97 B¢h 2-4-5 श्रोतव्यः 249 Chand. 7-26-2. स एकधा भवति स एष नेति नेति । ... ... 36 92, 105, ५' }B-१-26 Brh. 298 105 C Brh14.24. । स एष महान् । Chand 3-14-1. स क्रतु वति 29! 58 do. 6-9-2. सात संपत्स्यामह ... 58 do do. सति सम्पद्य न विदुः ... 46. 102, 26 'Tait. 2-1-1. सत्य ज्ञानमनन्तम् । 270 सदृशदृष्टाचन्ताग्यम् 1 254 Chtmh. 6-2-. सदवदमग्न 25B do. do. सदव सम्य 66 Ask. G. Sh. III. 6-8. सन्ध्यामुपासीत .. 54 Chand, 3-14 2. सवगन्धः सवरस