पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/२९६

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5 पुटम्. पक्तिः. आकरः 2 यथा सम्येमा नद्यः 119 15 Chénd. 6-10-1. यथोर्णनाभिः सजते • 100 7 Mund. 1-1-7 यदा सर्वे प्रमुच्यन्ते ••. 80 8 Katha. 2-8-14. यदि वेतरथा ब्रह्मचर्यादेव ••• B6 6 Jabala. 4. यदेव विद्यया करोति ••• 31 25 Chand. 1-1-10. यबूत यच्च भव्यम् ••• 55 8 Pur St, . यद्यद्विभूतिमत्सवम् •.. 128 6 Gita. 10-41. यांमुच्छेत्तमाबसंत B8 यस्तमात्मानमनुविध •. 118 16 Cf. Chand. 8-7-1 . यस्मिन् विक्रियमाणे • 1916 C#. Maha-Bhas. 11-1 यस्य पर्णमयी जुहूः *: 814 Tait. Sah . B-5-7-2. यस्यां जाग्रति भूतानि • 13B 19 Grta. 2-69. यस्यैते चत्वारिंशत् • 28 2 Gaut. Dhar. 8-22. येन केनचन यजेतापि 27 21 यो वा एतदक्षरम् । - B2 1 Brh. B-8-10. योऽसावादित्यं पुरुषः ::: 128 9 do. 3-9-12. यो हि यदिच्छति सः → 116 9 Vidhi-Vi page 460. b १ । - | 571 1 616. Var. page 478. वस्त्वसंकरसिद्धिश्च :: वागेव विश्व भूतानि वाचारम्भणं विकारः • • • 17 21 120 12) 12B 6', Chand. 6-1-4. 157 16 201 वज्ञानमानन्दं बल • 15 25 20 20 ? Bgh. 8-9-28-1. 126 17 ईज्ञािय प्रज्ञां कर्वात •• 154 8 do. 4-4-21 .