पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/२९५

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अक्रमणिका ३ वाक्यानि ब्रह्मणा सह ते सर्वे . ... 128 19 Karma:I. 12-289, ब्रह्म वेद बलैव भवति । ... 84 16 Mund. 8-2-9. 122 ब्रह्म संपद्यते •.. 119 19 Bra. Bin 6 सैव सन् ब्रह्मप्येति ... 121 19 B¢h. 4-4-6. 122 18 • • 56 21 516. Vईr. page 479. भावांशेनैव संयोगः भिद्यते हृदयग्रन्थिः 3B Mup¢. 2-2-8. 129 16 24 1} Yoga. Bhag. 2-15. B0 भागाभ्यासमनु भोगेन वितरे क्षपयित्वा " 5; Brahm. Su.4-]-19. 188 15 मनामयः प्राणशरीरः • ••• 122 16 Chand. B-14-2. मन्तव्यो निदिध्यासितव्यः • B5 17 Brh. 2-4 5. महत्यनेकद्रव्यसमवायात् 61 25 C. Vai6. Su. 4-1-6. महायज्ञेश्च यनैश्च ••• 28 2 Manu. 2-28. मुनीनामप्यहं व्यासः ••• 128 5 Gita. 10-87. य आत्मापहतपाप्मा *: 1B5 22 Chénd. 8-7-1. य इह नानेव पश्यति 6 15 Brh. 4-4-19. यज्ञेन दानेन •• B7 1 do. 4-4-22. यतो वा इमानि भूतानि 157 6 Tait. B-1. यत्र त्वस्य सर्वमात्मैव ** 16 13 Brh. 4-5-15. यथाग्नेः क्षुद्रा विष्फुलिङ्गाः :: - 4 1004 do. ४-1-20. यथा पुष्करपलाशे 1B4 15 Chand. 4-14-8. यथा लकं मधुकृतः 119 15 C. do. 6-8-1 . घथा सुदीप्तपावकात ... 100 1? Mupd. 2-1-1.