पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/२९४

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4B अनुक्रमणिको “३ वाक्यानि. पुटम्. पहिः. आकरः. नान्योऽतोऽस्ति द्रष्टा ... 126 18 B¢h• 8-7-28. 127 12 नास्त्यकृतः कृतेन 82 15 Mupd, 1-2-12. नित्यं विमुं सर्वगतम्_ 120 do. 1-1-6. ... 19 15 svata, 6-18. नित्यः निदिध्यासितव्य । 15B 154 Bgh. 2-4-5 20 ... 59 14 Sl6. Var. page 171. B8 निर्विकल्पकबाधऽपि••• निर्विशेष न सामान्यम् निष्कलं निष्क्रियम् र्नेह नानास्ति किंचन नैतं सेतुमहोरात्रे do. do 548 Sveta. 6-19. 120 7 125 18 Brh. 4-4-19. 128 19 Chand. 8-4-1. 17 1 Prasna. 5-2. पर चापरं च बल परं ज्योतेरुपसंपद्य 78 12 120 Chand. 8-3-4. 8-2-2. 121 14 55 8 Pur. Suk. B. 55 पादोऽस्य विश्व स्तर पुरुष एवेदं सर्वम् पुरुषस्य विशुयुद्धस्य च पुरुषशक्तिप्तस्तत्र पूर्वात् परबलीयस्त्वम् do. 816. Var. page 662. 10 21 96 12 do. do. 74. पूवाव/घन नत्पत्तेः 43 10 Tant. Var. page 819. 40 + Sl6 Var. page €2. . 40 • Mim. Bo. 6-5-54 . पांवोंपर्यं पूवंदबल्यम् • • • प्रज्ञां कुवत 11B 114 10 ^ Brh 4-4-21 . 15B 21 प्रयोजनमनुद्दिश्य ••. 10 16 516. Var. page १68. प्रामाण्यस्थापनं तु 108 do. do. .