सामग्री पर जाएँ

पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/२८९

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति
38
अनुक्रमणिका ३

अस्थूलमनर्वहम्

अहं मनुरभवम्

अहं रुद्रेभिर्वसुभिः

आग्नेयोऽष्टाकपालः ..

आमनस्त कामाय

आत्मनि विज्ञाते सर्वम्

आत्मरतिरात्मक्रीडः

आत्मलाभाश परम्

आत्मानं चेद्विजानीयात्

आस्मेत्येषोपांगीत

आत्मैवेदं सर्वम्

आनन्तर्यं पंचोवितम्

आनन्दं प्रस

आनन्दं ब्रह्मणो विद्वान्

आफूतर्तडवं स्थानम्

इदं सर्वं यदयमास्मा 162

इन्द्रो मायामिः

इमं मानवमावर्तम् ,

उदयः सर्वेभ्यः

पुटम्, आकरः,

20 20 10 26 1B B¢h. 8-8-8, 17 B0 157 8 18 1 B¢h. 1-4-10. 17 2B Rg. V. 10-125-1. 114 8116 6 Apa, Adhy2. 84 18 Brh. 4-4-12. 11B 10 do. -1-4-7. Ch&nd. 7-25-2. 20 109 1B 56. Var. page 081. 8 27 Brh. 8-9-28. Tait. Sai. 7-6-21-1. 154 21 Brh. 2-4-5 . 8 11 do. 4-5-6. 128 1 Chand. 7-25-2. a a 122 5 Iait. 2-4-1. 124 4 Vienu. 2-8-36. 8 Brh. 2-4-6. 164 21 125 16 124 6 11 do. 2-5-19. Chand. 4-15-5. 65 6 Pur, sht. ५ . 12811 C. Chand, 1-6-४.