APPENDIX III
बक्षसिद्धावुदाहृतानां ग्रन्थान्तरस्थवाक्यानामकारादि
क्रमणिका, आकरश्च ।
पुटम्. पहिः आकारः
अथ यदतः परो दिवः अथ योऽन्यथातः अथ योऽन्याम् अथातो धर्मजिज्ञासा अदृष्टं द्रष्टुं अध्यारोपापवादाभ्याम् अनश्नन्नन्योऽभिचाकशीति अनादिरप्रयोजना च अनारब्धकार्यं एव तु अनेन जीवेनात्मना अपहतपाप्मा विजरः अपि च पैौरुषेयाद्वचनात् अभयं वै ब्रह्म अमृतत्वमेति अरश्च ह वै ण्यश्चार्णवौ अविशिष्टस्तु वाक्यार्यः अशरीरं वाव सन्तम् असा वाव लोकः अस्तिर्भवन्तपरः |
124 6 Chand. 8-18-7. 12 8" , d6 7-25-2. 120 6 Brh. 1-410. 116 9 Mim. Sb. 1-1.1. 128 6 Bh8-8-11. 26 22 C. B&ra. V. B. S.8. 295-vide Sankara- bhasya on Gita 168-18. 81 16 Mund. 8-1-1. 10 14 3B 1805 Brahm. Sh. 4-1-15. 10 ! Chत्रंnd. 6-8-2. B1 19 152 do. 87-1. 80 3 &abBhas. 11-2. । 21 8 Bh4-4-25. 124 ४ Chand. 8-6-6. 8-5-8 122 18 41 221 77 6 → Mim. So. 1-2-4 77 84 20 Chénd.8-12-1 11b 1B6 168 5-4-1l. 858 Maha-Bhab. 2-8-1. |