पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/९५

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बीजगणिते - , , हुआ, इनमें से ५ को ऋण मानने से ' क ३ क २ क ५ यह मूल सिद्ध हुआ इसीप्रकार रूप वर्ग में क २४ और धन क ४० के समान रूप घटाने से शेष ३६ रहा इसका मूल ६ हुआ, इसको रूप में जोड़ने घटाने से १६ और ४ हुए, इन का आधा ८ २ हुआ | इन में से क को रूप मानकर उक्तक्रिया करने से क २ क ३ क ५ " ये मूलकरणी सिद्ध हुई । इस भांति अनुक्त भी बुद्धिमान् लोग जानते हैं ॥ पूर्वैर्नायमर्थो विस्तीयोक्को बालावबोधार्थं तुमयोच्यते- एकादिसंकलितमित- करणीखण्डानि वर्गराशौ स्युः । वर्गे करणीत्रितये 22 करणीतियस्य तुल्यरूपाणि ॥ २२ ॥ करणीषट्के तिसृणां दशसु चतसृणां तिथिषु च पञ्चानाम् । रूपकृतेः प्रोद्य पदं ग्राह्यं चेदन्यथा न सत्कापि ॥ २३ ॥ उत्पत्स्यमानयैवं मूलकरण्याऽल्पया चतुर्गुणया । यासामपवर्तः स्या- - द्रूपकृतेस्ता विशोष्पाः स्युः ॥ २४ ॥ अपवर्ते या लब्धा मूलकरण्यो भवन्ति ताश्चापि ।