पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/८२

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करणीषड्डिधम् । न्यासः | प्रथमः क २ ३ ३ क ५. द्वितीयः क ३२ | तृतीयः क ६५क ३ क २१ चतुर्थ: क१८८२ | स्थाप्योन्त्यवर्गश्चतुर्गुणान्त्यनिघ्नाः- ' इत्यनेन 'गुण्यः पृथग्गुण कखण्डसमः-' इत्यनेन वा जाताः क्रमेण वर्गाः द्वं ७५ प्रथमः रु १० क २४ क ४० के ६० । द्वितीयः रू ५ क २४ । तृतीयः रु १६ क १२० क ७२ क ६०६ ४८ क ४० के २४ । करणीनां यथासंभवं योगं कृत्वा वर्गवर्ग- मूले कार्ये । तद्यथा-क १८८२ सां योगः क ७२ । अस्या वर्गः क ५१८४ अस्या मूलम् रू ७२ ॥ इति करणीवर्गः । करणी के वर्ग आदि का उदाहरण - क २ क ३ क ५, क३ क २, क ६ क ५ क ३ क २ और क १८ क ८ क २ इनका अलग अलग बर्ग कहो और वर्गमूल भी कहो || यहां ‘स्थाप्योऽन्त्यवर्गः- इस व्यक्तोक्न प्रकार के अनुसार वर्ग करो अन्य प्रकारों से करो परंतु जैसा व्यक्तगणित में जिस उद्दिष्ट राशिका वर्ग करना हो उसे दूंना करके उसीसे और अङ्कको गुण